मछली और मखाने में होते हैं यह पोषक तत्व, जान ले इसके बारे में सब कुछ

मखाने की व्यावसायिक खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है। यह मुख्य तौर पर उत्तरी बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया,…

Screenshot 20240307 211203 Google 1

मखाने की व्यावसायिक खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है। यह मुख्य तौर पर उत्तरी बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, फारबिसगंज और कटिहार जिलों में होती है। इसके अलावा असम तथा पश्चिम बंगाल के निचले भू-भाग वाले जलक्षेत्रों में होती है।

मखाना एक शाकाहारी खाद्य पदार्थ है जबकि मछली एक मांसाहारी पदार्थ है। दोनों में ही पौष्टिक तत्व मिलते हैं लेकिन किस में क्या मिलता है? यह कोई नहीं जानता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक बालकृष्ण झा, अभय कुमार, उज्ज्वल कुमार और इन्दु शेखर ने इसकी खेती और उसमें मिलने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में जानकारी दी है। मखाना मुख्य तौर पर बिहार में होता है और वह बाजार में हर जगह उपलब्ध होता है जबकि मछली पालन भी सभी जगह पर होता है।

मखाना शुद्ध प्राकृतिक पौष्टिक एवं प्रोसैस्ड पदार्थ है, जो सूखे फल की तरह बाजारों में पाया जाता है। बताया जाता है कि मखाने के कच्चे लावा में 9.7%,प्रोटीन, 76.9%,कार्बोहाइड्रेट, 0.1% वसा, 1.3 % खनिज (कैल्शियम 20 मि.गा., फॉस्फोरस 90 मि.गा., आयरन 1400 मि.गा. प्रति 100 ग्राम) एवं 12.8% नमी का अंश रहता है।

भुने हुए मखाने में कौन से पोषक तत्व होते हैं ?
वैज्ञानिकों का कहना है कि भुने हुए मखाने में प्रोटीन 9.5%, कार्बोहाइड्रेट 84.9%, वसा पॉइंट 5% नमी चार प्रतिशत एवं क्रूड फाइबर 0.6% पाया जाता है। प्रति 100 ग्राम मखाना कच्चा लावा के सेवन से 362 एवं भुने हुए मखाना लावा से 382 कि.ग्रा. कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

मछली में कौन कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
मछली भी एक पौष्टिक आहार है इस पर उच्च कोटि का प्रोटीन 30 से 45% वसा 0.2-22 %, लवण 1-2%, कार्बोहाइड्रेट 1-3% एवं नमी 70-80 % पाई जाती है.

सिंघाड़ा के ताजे फलों में क्या मिलता है?
कृषि वैज्ञानिकों ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सिंघाड़ा में कार्बोहाइड्रेट 23.3 %, प्रोटीन 4.7%, खनिज 1.1 %, फॉस्फोरस 15 %, आयरन 0.008 %, विटामिन 0.0009 % और फाइबर 0.6 % मिलता है.इसके सूखे फल में कार्बोहाइड्रेट 65-75 %, प्रोटीन 13.4 %, वसा 0.8 %, खनिज 3.1 %, फॉस्फोरस 0.44 % और आयरन 0.0024 % पाया जाता है। इन उत्पादों के सेवन से कुपोषण को दूर किया जा सकता है।

कहां होती है मखाना की खेती?
इसकी परंपरागत खेती से किसानों को प्रतिवर्ष प्रति हेक्टेयर 48,960 रुपये तक का शुद्ध लाभ तथा समन्वित खेती अर्थात मखाना-सह-मछली एवं सिंघाड़ा की खेती से 101,110 रुपये तक का शुद्ध लाभ प्राप्त होता है।