Lok Sabha Election2024: उत्तराखंड में बीजेपी का 5 लाख + का टार्गेट कैसे रोकेगी कांग्रेस? ग्राउंड में कौन दिख रही है आगे?

हेमराज सिंह चौहान आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में बीजेपी साल 2022 में हारी 23 विधानसभा सीटो पर फ़ोकस कर रही है। आप जानते हैं…

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हेमराज सिंह चौहान

आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में बीजेपी साल 2022 में हारी 23 विधानसभा सीटो पर फ़ोकस कर रही है आप जानते हैं कि उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटें आती हैं इसमें कुमाऊं में 2 और गढ़वाल में 3 सीटें आती हैं, बीजेपी को कुमांऊ में पुष्कर सिंह धामी को विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बनाने का ख़ासा फ़ायदा हुआ था और विधानसभा चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 47 सीटों पर जीत दर्ज की हालांकि सीएम धामी खुद विधानसभा चुनाव हार गए थे. इसके बावजूद मोदी-शाह ने धामी पर दांव खेला

हाल में विधानसभा सत्र में बीजेपी ने समान नागरिक संहिता विधेयक को पास कर दिया है और आज़ाद भारत में उत्तराखंड ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है बीजेपी को लगता है कि इसका फ़ायदा उसे न सिर्फ़ उत्तराखंड में बल्कि उत्तर प्रदेश में भी मिलेगा एक अख़बार के मुताबिक़ बीजेपी उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार क्लीन-स्वीप करने के लिए कमर कस चुकी है उसका लक्ष्य है कि वो पांचों लोकसभा सीट 5,00000 लाख के अंतर से जीते पार्टी जानती है कि ये लक्ष्य हासिल करने के लिए उसे दो साल पहले जिन विधानसभा सीटों पर हार मिली थी उस सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करना होगा ये सीटे यमुनोत्री, बंदरीनाथ, प्रतापनगर, चकराता,ज्वालापुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, खानपुर, लक्सर, मंगलौर, हरिद्वार ग्रामीण, धारचूला, द्वाराहाट,अल्मोड़ा, लोहाघाट, हल्द्वानी, जसपुर, किच्छा, नानकमत्ता, बाजपुर और खटीमा है

कांग्रेस की बात करें तो उसके लिए ये लोकसभा चुनाव सबसे कठिन होने वाला है, पिछले कुछ समय से देखा गया है कांग्रेस लगातार उत्तराखंड में कमजोर रही है इसके अलावा ये देखा गया है कि जिन भी राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर हुई है वहां ज़्यादातर राज्यों में कांग्रेस को मुँह की खानी पड़ी है कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की खास कुमारी शैलेजा को उत्तराखंड का प्रभारी बनाया गया है,उनसे उम्मीद होगी कि वो पार्टी की गुटबाज़ी पर लगाम लगाए और पार्टी को उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में सम्मानजनक स्थिति में लाए

कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने चुनाव की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं लेकिन ज़मीन पर बीजेपी ज़्यादा सक्रिय दिख रही है इसकी एक वजह उम्मीदवार से ज़्यादा पीएम मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व है

कांग्रेस में कई लोकसभा सीटों पर टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस कितनी जल्दी इसे सुलझा पाती है फ़िलहाल तो बीजेपी ही परसेप्शन की लड़ाई में आगे नज़र आ रही है अब देखना है कि क्या कांग्रेस ने दो साल पहले जो विधानसभा सीट जीती थी उसमें से कितने पर बीजेपी उसे लोकसभा चुनाव में मात दे पाती है ?