Almora- एसएसजे परिसर में आयोजित हुई संगोष्ठी,स्वामी विवेकानन्द के विचारों को बताया आज के समाज की जरूरत

एसएसजे परिसर के शिक्षा विभाग में आयोजित संगोष्ठी में विवेकानंद के विचारों को आज के समाज की जरूरत बताते हुए उनके दिखाए रास्ते पर चलने…

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एसएसजे परिसर के शिक्षा विभाग में आयोजित संगोष्ठी में विवेकानंद के विचारों को आज के समाज की जरूरत बताते हुए उनके दिखाए रास्ते पर चलने की बात कही गई। यह संगोष्ठी आजादी के अमृतकाल में G20 के अंतर्गत और रामकृष्ण मिशन की स्थापना के 125 वर्ष पूर्ण होने पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय एवं राम कृष्ण,कुटीर अल्मोड़ा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई।


भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्वामी विवेकानन्द के विचारों का समावेश विषय पर मुख्य ऑडिटोरियम में एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में रामकृष्ण कुटीर,अल्मोड़ा के अध्यक्ष मी ध्रुवेशानन्द महाराज ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा यह सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी ओर खींचती है। कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी के साथ ही कई महान संतों का आगमन हुआ है और उन्होंने इस नगरी के आध्यात्मिक वातावरण को और अधिक समृद्ध किया है।


अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के आदर्श, मूल्य और संस्कारों संबंधी विचार समाज की आवश्यकता हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत संचालित कई विषयों के पाठ्यक्रम में स्वामी विवेकानन्द जी के आदर्शों, मूल्य, संस्कार एवं भारतीय संस्कृति को चरितार्थ करते हुए पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्नातक एवं परास्नातक की कक्षाओं में विवेकानन्द जी के विचारों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा की विवेकानन्द जी एक व्यक्ति नहीं अपितु एक संस्थान थे। उनके विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सेमिनार हेतु रामकृष्ण कुटीर,अल्मोड़ा एवं शिक्षा संकाय को आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।
डॉ आशुतोष उर्स, स्ट्रोबेल (स्विट्जरलैंड) ने वेदांत, उपांग, अष्टांग योग की चर्चा की। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन सभी को पिरोया ज्ञान है। उन्होंने भारतीय ज्ञान, वैदिक ज्ञान को उदाहरण सहित समझाया।


शिक्षाविद श्रीमती मरीना क्रोशिया ने कहा कि बच्चे हमारा भविष्य हैं, और हमारी जिम्मेदारी है कि उनको शिक्षित करें। उन्होंने आयोजकों को आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। विशिष्ट अतिथि प्रो0 जगत सिंह बिष्ट ने स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों , स्वामी जी की समावेशी शिक्षा को लेकर सोच, धर्म सम्मेलन में प्रस्तुत भाषणों के प्रसंगों को रखते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि विवेकानन्द मानते थे कि शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को मनुष्य बनाना है। उन्होंने कहा कि हमारे व्यक्तित्व का विकास नहीं तो हमारे मनुष्य होने का अर्थ नहीं। उन्होंने आगे बताया कि नवीन शिक्षा नीति में विवेकानन्द जी के विचारों को समाहित किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गुणवत्ता का विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि नवीन शिक्षा नीति व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करने में अपना अहम योगदान देगी।


मुख्य अतिथि स्वामी शुद्धिदानंद महाराज (अद्वैत आश्रम, मायावती चंपावत एवं अद्वेत आश्रम,कलकत्ता) ने नवीन शिक्षा नीति में विवेकानन्द जी के विचारों को समाविष्ट करने की जानकारी दी। आधार व्याख्याता स्वामी वेद निष्ठानंद महाराज (रामकृष्ण मिशन एवं मठ, बेलूर मठ हावड़ा, पश्चिम बंगाल,डॉ शैलेश उप्रेती और प्रो मिल्टन देव ढाका विश्वविद्यालय,बांग्लादेश) ऑनलाइन रूप से जुड़े।


सेमिनार संयोजक प्रो भीमा मनराल ने आभार जताते हुए कहा कि विवेकानन्द के आदर्श और विचार व्यक्तित्व का विकास करते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा संकाय द्वारा समाजपयोगी सेमिनारों का आयोजन करता रहेगा। उद्घाटन के उपरांत तकनीकी सत्रों का संचालन हुआ। समानांतर चले दो तकनीकी सत्र में डॉ ममता पंत एवं डॉ गिरीश चन्द्र जोशी ने अध्यक्षता की और पूजा नेगी ने संचालन किया।


उद्घाटन से पूर्व अतिथियों का बैज अलंकरण, शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना के साथ स्वागत गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया।सेमिनार में अंतराष्ट्रीय सेमिनार से संबंधित सोविनियर के साथ डॉ रिजवाना सिद्धिकी की सम्पादित पुस्तकों का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ चंद्र प्रकाश फुलोरिया ने किया।अध्यक्ष रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट, स्वागत भाषण वक्ता स्वामी ध्रुवेशानन्द महाराज (अध्यक्ष, रामकृष्ण कुटीर,अल्मोड़ा), आधार व्याख्याता स्वामी वेद निष्ठानंद महाराज (रामकृष्ण मिशन एवं मठ, बेलूर मठ हावड़ा, पश्चिम बंगाल, विशिष्ट अतिथि प्रो जगत सिंह बिष्ट (पूर्व कुलपति), प्रो मिल्टन देव ढाका विश्वविद्यालय,बांग्लादेश), डॉ आशुतोष उर्स, स्ट्रोबेल (स्वीट्जरलैंड), शिक्षाविद श्रीमती मरीना क्रोशिया,मुख्य अतिथि स्वामी शुद्धिदानंद महाराज (अद्वैत आश्रम, मायावती चंपावत एवं अद्वेत आश्रम,कलकत्ता), प्रो भीमा मनराल (संयोजक,अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी), प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट (परिसर निदेशक), आयोजक सचिव डॉ चन्द्र प्रकाश फुलोरिया, समापन सत्र के अध्यक्ष स्वामी आत्म श्रद्धानंद महाराज (सचिव रामकृष्ण मिशन,आश्रम,कानपुर) बतौर अतिथि मंच पर विराजमान रहे। संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।


इस अवसर पर कुलसचिव भाष्कर चौधरी, प्रो कौस्तुबानन्द पांडे, प्रो विद्याधर सिंह नेगी, डॉ रिजवाना सिद्धिकी,डॉ संगीता पवार, डॉ ममता असवाल,प्रो इला साह, प्रो शेखर जोशी, डॉ प्रीति आर्या, डॉ ममता पंत,डॉ पारुल सक्सेना, डॉ धनी आर्या, डॉ नीता भारती, डॉ संदीप पांडे,डॉ बलवंत आर्या, डॉ अंकिता , डॉ ममता कांडपाल, डॉ देवेंद्र चनियाल, डॉ मनोज कुमार, डॉ ममता कांडपाल, डॉ अशोक उप्रेती, डॉ सरोज जोशी, डॉ ललिता रावल, डॉ लल्लन कुमार, कुंदन लटवाल, प्रकाश भट्ट,डॉ प्रेम प्रकाश पांडे, डॉ मनोज कार्की,डॉ पूजा, डॉ गिरीश जोशी, विपिन जोशी (वैयक्तिक सहायक) आदि सहित कई शोधार्थी, शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद रहे।