हैल्थ टिप्स— पेट के रोग और गैस की समस्या पर गैस्ट्रो एंटरोलॉजिस्ट विशेषज्ञ सचिन चक्रवर्ती की सलाह

उजाला सिग्नस सेंट्रल हास्पिटल हल्द्धानी की ओर से अल्मोड़ा के मेडिकल हॉल में आज यानि रविवार 24 सितंबर को अल्मोड़ा में एक चिकित्सा जांच कैंप…

Health Tips- Advice from gastroenterologist expert Sachin Chakraborty on stomach diseases and gas problems.

उजाला सिग्नस सेंट्रल हास्पिटल हल्द्धानी की ओर से अल्मोड़ा के मेडिकल हॉल में आज यानि रविवार 24 सितंबर को अल्मोड़ा में एक चिकित्सा जांच कैंप आयोजित किया गया था।इस मौके पर अस्पताल की ओर से गैस्ट्रो एंटरोलॉजिस्ट विशेषज्ञ सचिन चक्रवर्ती यहां मौजूद रहे। उनसे उत्तरा न्यूज ने पेट के रोग की समस्या पर बात की और उन्होंने इसके बारे में सामान्य जानकारी से अवगत कराया। जिसे हम यहां प्रस्तुत कर रहे है,आशा है आपको यह जानकारी पसंद आएंगी।


डॉ चक्रवर्ती ने बताया कि हल्द्धानी में 50 प्रतिशत पेंशेट हमारे पास पहाड़ से आते है। जो खास बीमारियों पहाड़ में देखी जाजी है वह गैस्ट्राइटिस,पेट ​की दिक्कतें आम है। चूंकि यहां ठंड ज्यादा होती है और तीखा मिर्च मसाले वाला भोजन करने से गैस की दिक्कतें होती है।
गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट विशेषज्ञ डॉ चक्रवर्ती ने कहा कि अगर आपका पेट अच्छा नही है,खाने में आयरन की कमी है तो आपका पढ़ाई में ध्यान नही लगेगा। ​लिवर ​के रोग और पीलिया के कुछ मरीज आज दिखाने के लिए आए है। गंदे पानी की वजह से से या फिर काले पीलिया के रोगी है। अगर काला पीलिया परिवार के एक सदस्य को हुआ है तो परिवार के सभी सदस्यों की काले पीलिया की जांच बहुत जरूरी है।


डॉ चक्रवर्ती ने कहा कि पेट के सामान्य तरह के रोगों का इलाज साधारण है और लोगों के लिए बार बार हल्द्धानी आना संभव नही होता है इस कारण से हम अब लगातार इन मरीजों को देखने के लिए अल्मोड़ा आएंगे। अगर आपको किसी दिक्कत की वजह से आयरन नही पचता है,डिप्रेशन और एंजा​इटि ज्यादा है तो इससे पेट की बीमारियां हो सकती है। पेट के गंभीर रोगियों में आखों में पीलापन आना,पेट में लिवर की तरफ दर्द होना,पैरों में सूजन होना,पेट में पानी भरने की शिकायत हो सकती है। पेट में सूजन होने का पता पहले छोटी जांचें जैसे सीवीसी,एलएफटी,शुगर की जांच और अल्ट्रासाउंट आदि जांचों से इसका पता लगाया जा सकता है।अगर इनसे से भी रोग का पता न चल सके तो आगे की जांच की जाती है।रोगी के परिवार के लोगों का भी रोगी के प्रति व्यवहार सदभावपूर्ण होना जरूरी है।