आत्मा के अनन्त सुखों का अनुभव कराता है कायोत्सर्ग योग, अल्मोड़ा में योग विभाग की कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कराया योग चिकित्सा के मर्मों से अवगत

अल्मोड़ा। एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में चल रही विभिन्न वैकल्पिक चिकित्सा प​द्धतियों का चिकित्सकीय अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला में विशेषज्ञ विभिन्न योग विधाओं की जानकारी दे रहे…

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photo-uttra news

अल्मोड़ा। एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में चल रही विभिन्न वैकल्पिक चिकित्सा प​द्धतियों का चिकित्सकीय अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला में विशेषज्ञ विभिन्न योग विधाओं की जानकारी दे रहे हैं। नवें दिन विश्वभारती विश्वविद्यालय लाड़नू राजस्थान से विषय विशेषज्ञ डा. अशोक भाष्कर ने प्रक्ष्याध्यान की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस सहायता से अ​भ्यास करने वाला अपने मन को सूक्ष्म मन से जोड़ने की साधना करता है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक की डा.निर्मला भाष्कर ने कार्योत्सर्ग विधि की जानकारी देते हुए कहा कि महावीर जैन तीर्थकरों द्वारा कार्योत्सर्ग ​विधि में अपनी आत्मा को शरीर से अलग का आत्मस्वभाव में आने का माध्यम है। उन्होंने बताया कि जैन परम्परा में कार्योत्सर्ग दो मुख्य आसनों पद्मासन और खड्गासन में कराया जाता है। कहा कि कार्योत्सर्ग एक शिथिलिकरण अभ्यास है जिसमें 27 बार स्वास लेना व छोड़ना पड़ता है। तथा नौ बार ‘ण’मोकार का पाठक पूर्ण करने के बार एक कार्योत्सर्ग की प्रक्रिया पूरी होती है।

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इस अवसर पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय गढ़वाल की डा.रजनी नौटियाल ने भी स्वर योग के विषय के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना स्वरों अथवा दायां, बायां व मध्यम स्वर को व्यवस्थित कर मनुष्य अनेक प्रकार के गंभीर रोगों से स्वयं को मुक्त कर सकता है। आयोजक डा. नवीन भट्ट ने बताया कि मंगलवार को 12 बजे कार्यशाला का समापन समारोह आयोजित किया जाएगा। इस मौके पर डा. प्रेम प्रकाश पांडे,डा. लल्लन कुमार सिंह,हेमलता अवस्थी, रितेश कुमार,नेहा बिष्ट, रेनू कार्की, मोहित जाट, मोहित कुमार, अनीता बिष्ट, दीपिका अधिकारी, गीता पांडे सहित करीब 300 प्रतिभागी उपस्थित थे।