Wrestlers protest In India- ओलंपिक में जीते मेडलो को पहलवान गंगा में बहाएंगे

Wrestlers protest In India — भारत में पहलवानों का आंदोलन जारी है।पहलवान कुश्ती फैडरेशन आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद ब्रजभूषण सिंह की…

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Wrestlers protest In India — भारत में पहलवानों का आंदोलन जारी है।पहलवान कुश्ती फैडरेशन आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद ब्रजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे है। पहलवानों ने सांसद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है और पुलिस ने इस मामले में एक एफआईआर भी दर्ज की है।


Wrestlers protest In India
कल नए संसद भवन के उदघाटन के मौके पर नए संसद भवन जा रहे पहलवानों को दिल्ली पुलिस ने रोक दिया था और जंतर मंतर पर प्रदर्शन के टैंट आदि को उखड़वा दिया था। पहलवानों ने उनका उत्पीड़न का आरोप भी लगाया था और कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए थे।


Wrestlers protest In India
अब पहलवानों ने मेडल को हरिद्धार जाकर गंगा में प्रवाहित करने का ऐलान किया है। खिलाड़ियों ने कहा कि उत्पीड़न के खिलाफ वह ऐसा कदम उठाने पर मजबूर हुए है। कहा कि यह मेडल पवित्र है और इन पवित्र मेडल को रखने की सही जगह केवल मां गंगा के पास ही है।


Wrestlers protest In India
खिलाड़ी विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक में अपनी वॉल और अपने टवीटर हैंडल में शेयर कर मेडल को हरिद्वार गंगा में प्रवाहित करने की बात कही है।। इसमें ​लिखा है कि ”28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया। हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहे हैं। टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहां तक कि पाक्सो एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।

अब लग रहा है कि क्यों जीते थे। क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है। अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.।
मां गंगा से पवित्र कुछ नहीं, इसलिए उन्हीं की गोद में प्रवाहित करेंगे मेडल
लिखा कि मन में यह सवाल आया कि किसे लौटाएं ये मेडल। हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं। मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ दो किलोमीटर दूर बैठीं सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं। हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध नहीं ली, बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया। वह तेज सफेदी वाले चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था. उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी, मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूं।

इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां हैं। भारत में बेटियों की जगह कहां हैं। क्या हम केवल नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं। ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर केवल अपना प्रचार करता है यह तेज सफेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के खिलाफ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है।

इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मा हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है।”