Bageshwar :नही रहे आजाद हिंद फौज के सिपाही राम सिंह चौहान,102 वर्ष की उम्र में ली आख़िरी साँस

Bageshwar: Azad Hind Fauj soldier Ram Singh Chauhan is no more, breathed his last at the age of 102 बागेश्वर , 20 मई 2023- Bageshwar…

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Bageshwar: Azad Hind Fauj soldier Ram Singh Chauhan is no more, breathed his last at the age of 102

बागेश्वर , 20 मई 2023- Bageshwar जिले के आजाद हिंद फौज के एकमात्र स्वाधीनता सेनानी 102 वर्षीय राम सिंह चौहान का निधन हो गया है।
वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे।

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Bageshwar :नही रहे आजाद हिंद फौज के सिपाही राम सिंह चौहान,102 वर्ष की उम्र में ली आख़िरी साँस

स्वाधीनता सेनानी को जिला अस्पताल Bageshwar में भर्ती किया था। जहां उनका इलाज चल रहा था। आज सुबह तीन बजे उनका जिला अस्पताल में निधन हो गया।
Bageshwar के गरुड़ ब्लाक के पासदेव वज्यूला निवासी स्वाधीनता सेनानी चौहान की तबीयत कुछ दिनों पहले अचानक खराब हो गई थी। परिजन उन्हें जिला अस्पताल लेकर आ गए थे। उन्हें बुखार के साथ ही कफ की शिकायत थी। सेनानी चौहान के पुत्र गिरीश चौहान ने बताया कि वह भोजन नहीं कर पा रहे थे। जिला अस्पताल के चिकित्सक लगातार सेनानी की निगरानी कर रहे हैं। उनके जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद थी। उनके स्वास्थ्य में सुधार भी हो रहा था। सेनानी के परिजन अस्पताल में उनकी देखरेख कर रहे थे।

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Bageshwar :नही रहे आजाद हिंद फौज के सिपाही राम सिंह चौहान,102 वर्ष की उम्र में ली आख़िरी साँस


पासदेव वज्यूला निवासी चौहान आजाद हिंद फौज के जांबाज सिपाही रहे हैं। वह गढ़वाल राइफल में तैनाती के दौरान ही सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ उन्होंने आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया था। चौहान के वीरता के इलाके के सभी लोग कायल थे। सेनानी के बीमार होने की सूचना पर कई लोगों ने अस्पताल पहुंचकर उनकी सेहत की जानकारी ली थी। लोगों ने सेनानी के जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी। लेकिन आज सुबह तीन बजे उन्होंने जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली।


बता दे की 22 फरवरी 1922 को जन्मे राम सिंह चौहान के खून में ही वीरता भरी है। पिता तारा सिंह वर्ष 1940 में गढ़वाल राइफल्स में पौड़ी गढ़वाल में तैनात थे। इनके पिता ने पहला विश्व युद्ध लडा था। वही राम सिंह भी पिता की तरह वीर सैनिक थे वह गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे। देश में आजादी का आंदोलन चल रहा था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित राम सिंह चौहान वर्ष 1942 में अपने साथियों के साथ सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए।

उन्होंने नेताजी के साथ मलाया, सिंगापुर, बर्मा आदि स्थानों पर देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। नेताजी के साथ मिलकर अंग्रेजों से दो-दो हाथ किए। अंग्रेजों की जेल में रहे, यातनाएं सहीं लेकिन अंग्रेजों के सामने झुके नहीं, देश आजाद हुआ। वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेनानी राम सिंह को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया। स्वाधीनता सेनानी राम सिंह चौहान के चार पुत्र थे। तीन पुत्रों पूरन सिंह, चंदन सिंह, आनंद सिंह का पहले ही निधन हो चुका था। सेनानी के साथ चौथे पुत्र गिरीश चौहान रहते थे और उनकी देखरेख करते थे।


चौहान के निधन पर पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा , जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, विधायक सुरेश गड़िया, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, भाजपा अध्यक्ष इंद्र सिंह फर्स्वाण, कांग्रेस भगवत सिंह डसीला, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री राजेंद्र टंगड़िया, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष गीता रावल आदि ने गहरा दुख जताया है।
राजकीय‌ सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।