सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की उत्तराखण्ड विधानसभा के हटाए गए कर्मचारियों की याचिका,स्पीकर के फैसले को बताया सही

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों की याचिका को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ​रितु खंडूरी भूषण के फैसले को सही ठहराया है।…

Supreme Court rejected the petition of the dismissed employees of the Uttarakhand Legislative Assembly

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों की याचिका को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ​रितु खंडूरी भूषण के फैसले को सही ठहराया है। इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने भी स्पीकर के फैसले को सही करार दिया था।


2001 से 2015 के बीच उत्तराखण्ड विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां हुई और इनको नियमित भी किया जा चुका है।
बर्खास्त कर्मचारियों ने कहा कि था कि 2001 से 2015 के बीच हुई कर्मचारी नियमित हो गए है। कहा था कि 2014 तक तदर्थ नियुक्ति कर्मचारियों की 4 वर्ष से कम सेवाकाल में नियमित कर दिया गयया था लेकिन उन्हें 6 साल तक सेवाकाल के बावजूद नियमित न​ही किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए उत्तराखंड विधानसभा मे बर्खास्त कर्मचारियों की विशेष याचिका को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही करार दिया। उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय के वकील अमित तिवारी ने बताया कि 2021 में विधानसभा में तदर्थ रूप से नियुक्त हुए 72 कर्मचारियों ने याचिका दायर की थी और आज यानि शुक्रवार 19 मई को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश हृषिकेश रॉय और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए इसे निरस्त कर दिया और उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ​रितु खंडूरी भूषण के फैसले को सही ठहराया।


बताते चले कि 2016 से 2021 के बीच में तदर्थ आधार पर नियुक्त किए गए 228 कर्मचारियों की सेवाएं विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी ने समाप्त कर ​दी थी। इस मामले में विशेषज्ञ जांच कमेटी गठित की गई थी और इस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थी। आधार पर सेवाएं समाप्त कर दी थी।