टिहरी के छौल गांव का वह सितारा जिसने रियासती महाराज को दी शिकस्त आज सो गया, पैन्यूली के निधन पर पर देवभूमि में शोक की लहर

अल्मोड़ा। देवभूमि उत्तराखंड के लिए शनिवार को एक दुखद खबर सामने आई। रियासत और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने और टिहरी के राजा मानवेन्द्र शाह को…

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अल्मोड़ा। देवभूमि उत्तराखंड के लिए शनिवार को एक दुखद खबर सामने आई। रियासत और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने और टिहरी के राजा मानवेन्द्र शाह को 1971 के चुनावों में मात देने वाला लोकतांत्रिक योद्धा अनन्त यात्रा पर चल दिया। पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली अब हमारे बीच नहीं रहे। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कल यानी शुक्रवार रात उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें शनिवार सुबह ओएनजीसी अस्पताल में भर्ती कराया। वर्तमान में पैन्यूली बल्लूपुर के पास ही रह रहे थे। दिल्ली से उनकी बेटी देहरादून पहुंच चुकी हैं और परिजनों ने बताया कि रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
परिपूर्णानंद पैन्यूली का जन्म 1924 में टिहरी के छौल गांव में हुआ था। साल 1942 में 18 साल की उम्र में वो भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े। इसके बाद उन्हें 5 साल के लिए मेरठ जेल भेजा गया था। साल 1947 में उन्होंने टिहरी राजशाही के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था। इसके बाद उन्हें टिहरी जेल भेज दिया गया था लेकिन बेड़ियां उन्हें ज्यादा वक्त तक जेल में नहीं रख पाई। साल 1948 में टिहरी जेल से फरार हुए और 10 दिन तक पैदल चलकर चकराता पहुंचे। फिर आंदोलन शुरू हुआ और आखिरकार टिहरी रियासत को इंडियन यूनियन शामिल हो ही गई जिसमें उनका संघर्ष अहम और अविस्मरीण है। 1971 में टिहरी लोकसभा सीट से उन्होंने ताल ठोंकी और राजा मानवेंद्र शाह को हराकर लोकसभा सदस्य चुने गए। परिपूर्णानंद पैन्यूली 35 साल तक पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे। वह पत्रकार भी थे।