अजब कारनामा— साधु ने सीने पर बोया हरेला बताया पर्यावरण संरक्षण का संदेश लोगों में कौतुहल

चौखुटिया सहयोगी। चौखुटिया के शिवमंदिर पटलगांव में एक साधु छाती में हरेला बोकर लेटे हुए हैं। बकौल साधु वह विश्व शांति व पर्यावरण का संदेश…

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चौखुटिया सहयोगी। चौखुटिया के शिवमंदिर पटलगांव में एक साधु छाती में हरेला बोकर लेटे हुए हैं। बकौल साधु वह विश्व शांति व पर्यावरण का संदेश लेकर यह काम कर रहे हैं। क्षेत्र में पहली बार सीताराम (भानुदास) महाराज इस कठिन तपस्या में बैठे हैं कौतुहलवश वहां भीड़ उमड़ रही है। साधु का कहना है कि वह
इससे पूर्व महाराज नागपुर और राजस्थान में इस कठिन तपस्या को कर चुके हैं। पटलगाव प्राचीन शिव मंदिर मे महाराज जी की तीसरी तपस्या है। विकासखंड के पटलगाव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में चित्रकूट से पहुंचे महाराज सीताराम (भानुदास )ने अपनी छाती में नवरात्रि के पहले दिन से हरेला बोया है पूरे शरीर को ईटों के बीच बंद कर छाती व चेहरे को खुला रखा है प्राचीन शिव मंदिर में दशकों पहले शुक्राचार्य महाराज जी रहते थे उनकी उम्र का कोई प्रमाण नहीं था समाधि लेने के बाद चित्रकूट से पूर्व में पहुंचे महंत सीताराम रमन महाराज भी लंबे समय तक इस शिव मंदिर में रहे शुक्राचार्य महाराज व सीता राम रमण की समाधि यही पर बनी है लंबे समय से यह शिव मंदिर खाली पड़ा था 6 अप्रैल को सीताराम (भानु दास) जी अचानक मंदिर में पहुंचे अपने को शुक्राचार्य महाराज का चेला बताने के साथ ही विश्व शांति व पर्यावरण का संदेश अपने साथ जोड़ते हुए शुक्राचार्य की समाधि में लेट कर पूरे शरीर को चारों ओर से ईट शरीर के नीचे मिट्टी रख अपनी छाती में हरेला बो दिया है बातचीत में बताया कि इससे पूर्व नागपुर व राजस्थान में इस कठिन तपस्या को कर चुके हैं उन्होंने बताया कि 9 वर्ष तक उम्र के बारे में मुझे याद है इसके बाद साधना में लगा रहा। यही नहीं साधु भानुदास ने यह भी कहा कि कलियुग में धन का मोह संतो की राह में रोढ़ा बना हुआ है।
( नोट— उत्तरान्यूज इस प्रकार के किसी कार्यों का न तो समर्थन करता है और नहीं इसका महिमामंडन करना उद्देश्य है केवल सूचना की दृष्टि से इसे प्रसारित किया जा रहा है सुधी पाठक गण इसे इसी दृष्टि से लें )