जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने सीमांत क्षेत्र मुनस्यारी तथा धारचूला की लचर शिक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल

मुनस्यारी। सीमांत क्षेत्र मुनस्यारी तथा धारचूला की लचर शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ पंचायत प्रतिनिधियों ने हुंकार भरते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ़ आंदोलन की धमकी…

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मुनस्यारी। सीमांत क्षेत्र मुनस्यारी तथा धारचूला की लचर शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ पंचायत प्रतिनिधियों ने हुंकार भरते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ़ आंदोलन की धमकी दी। जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा है कि दोनों विकास खंडों से 83 शिक्षकों का तबादला हुआ, लेकिन आया एक भी नहीं। शिक्षा की बदहाल स्थिति के कारण चीन सीमा पर बसे भारतीय गांव खाली हो रहे है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा है। कथाकथित राष्ट्रवादी सरकारें चुप्पी साधे हुए है।

इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने आज प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन ईमेल से भेजा। उन्होंने कहा कि चालू शिक्षा सत्र में प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक के विद्यालयों से 83 शिक्षकों का तबादला बिना प्रतिस्थानी के ही कर दिया गया। बिना प्रतिस्थानी के कार्यमुक्त नहीं करने के जिलाधिकारी के आदेश को दबा दिया गया।

उन्होंने कहा कि नये शिक्षा सत्र से पहले सीमांत के विद्यालयों में शिक्षकों की सत् प्रतिशत नियुक्ति नहीं हुई तो दोनों विकास खंडों में सरकार के किसी भी मंत्री तथा मुख्यमंत्री को घुसने नहीं दिया जाएगा। कहा कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार को पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा हिमाचल प्रदेश की तरह स्थानांतरण नीति बनानी चाहिए। पड़ोसी देश नेपाल से भी सरकार आउटपुट ले सकती है।

उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा सरकारी स्कूलों में ताला लगाकर बंद करने की है। शिक्षकों के अभाव में हजारों छात्र एवं छात्राओं का भविष्य प्रति वर्ष बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा है। उन्होंने कहा उत्तराखंड में शिक्षा जैसे गंभीर विषय पर ना सरकार का ध्यान है ना ही विपक्षी दलों का।


उन्होंने कहा चीन सीमा पर बसे गांव शिक्षा की खराब व्यवस्था के कारण खाली हो रहे है, जो सीमा की सुरक्षा के लिए ख़तरा है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल बाते करते हुए अपना कार्यकाल पूरा कर रही है। इसके लिए एक सरकार को नहीं उत्तराखंड बनने के बाद बनी सभी सरकारें कटघरे में खड़ी है।