शून्य अंक वालों को भी साक्षात्कार के लिए बुलाने पर UKPSC से मांगा जवाब

देहरादून। उत्तराखंड शासन ने राज्य लोक सेवा आयोग से पीसीएस के साक्षात्कार में शून्य अंक वालों को भी बुलावा भेजने के पुराने मामले में सूचनाएं…

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देहरादून। उत्तराखंड शासन ने राज्य लोक सेवा आयोग से पीसीएस के साक्षात्कार में शून्य अंक वालों को भी बुलावा भेजने के पुराने मामले में सूचनाएं तलब की है। जानकारी के अनुसार भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने सोमवार को इस मामले में सचिव मुख्यमंत्री से भेंट की थी और उन्हें मुख्यमंत्री को संबोधित एक प्रत्यावेदन सौंपा था।

जिसके बाद सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगोली ने अपर सचिव शासन ने लोक कार्मिक ललित मोहन रयाल को इस मसले पर राज्य सेवा आयोग से अभ्यर्थियों के लिए बनायी गयी व्यवस्था लोक सेवा आयोग से सूचना मांगने को लिखित निर्देश दिये हैं।

बताते चलें कि जुगरान का कहना है कि राज्य लोक सेवा आयोग में भर्ती चयन प्रक्रिया में आयोग की स्थापना से प्रारंभिक व स्क्रीनिंग परीक्षा में शून्य अंक पाने वालों को भी साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता था। उन्होंने कहा है कि यह क्रम वर्ष 2011 तक जारी रहा इसके उपरांत जब कुछ सदस्यों को इसका पता हुआ तो आयोग ने इस व्यवस्था को समाप्त किया।

तदोपरांत साक्षात्कार में केवल उन अभ्यर्थियों को बुलाया जाने लगा जिनमें अनुसूचित जाति जनजाति के अभ्यर्थी कम से कम 20 फीसद अंक प्राप्त करेंगे ओबीसी 25 फीसद और सामान्य वर्ग 30 फीसद की यह सीमा 2018 तक चलती रही। इसके बाद यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई।

जुगरान ने कहा है कि उनकी चिंता यह है कि वर्तमान में आयोग में कौन सी व्यवस्था से अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जा रहा है। जुगरान ने कहा की शून्य अंक प्राप्त अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाने की व्यवस्था भ्रष्टाचार भाई भतीजावाद मनमर्जी जातिगत क्षेत्रवाद भाषावाद लिंगवाद आदि के आधार पर भेदभाव की व्यवस्था है।

उन्होंने 30 फीसद महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर भी सवाल उठाए हैं उन्होंने कहा कि हाल में पीसीएस मेंस में 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण इस तरह लागू किया गया कि अन्य प्रदेशों की महिलाओं को भी उसका लाभ दिया जा रहा है। जबकि कानून के मुताबिक यह आरक्षण उत्तराखंडी महिलाओं के लिए ही लागू होना चाहिए।