बज्रपात की चेतावनी के लिए देहरादून और श्रीनगर में लगेंगे सेंसर

उत्तराखण्ड के देहरादून और श्रीनगर में बज्रपाल की चेतावनी के लिए 175 लाख की लागत से सेंसर लगाए जाएंगे।आपदा प्रबंधन विभाग की राज्य कार्यकारिणी समिति…

Sensors will be installed in Dehradun and Srinagar for warning of lightning

उत्तराखण्ड के देहरादून और श्रीनगर में बज्रपाल की चेतावनी के लिए 175 लाख की लागत से सेंसर लगाए जाएंगे।आपदा प्रबंधन विभाग की राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।


समिति की बैठक में 175 लाख की लागत से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलॉजी (आईआईटीएम) पुणे के माध्यम से देहरादून और श्रीनगर में वज्रपात की चेतावनी के लिए सेंसर लगाने का निर्णय लिया गया।


मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु की अध्यक्षता में मंगलवार को आपदा प्रबंधन विभाग की राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक राज्य आपदा मोचन निधि और राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि के तहत कई प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान दी गयी।


बैठक में 208.12 करोड़ की लागत के बलियानाला ट्रीटमेंट कार्य को सहमति प्रदान की गई। मुख्य सचिव ने योजना पूर्ण होने की प्रस्तावित समय 4 साल को घटा कर 2 साल में पूर्ण किए जाने को कहा। कहा कि कार्य 2 अथवा 3 शिफ्ट में युद्ध स्तर पर किया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि जो काम समानांतर शुरू किए जा सकते हैं, उन्हे कर दिया जाए,इसके टेंडर भी तुरंत जारी करने के निर्देश जारी किए। मुख्य सचिव ने इस कार्य में पर्यटन को जोड़े जाने की बात भी कही। बैठक में नैनीताल में डीएसबी कॉलेज बालिका छात्रावास और ठंडी सड़क के भूस्खलन की रोकथाम कार्य के लिए भी 1020.09 लाख रूपये मंजूर किए गए।


मुख्य सचिव ने आपदा प्रबंधन विभाग को प्रदेश में मानसून काल के दौरान विभिन्न जनपदों और रेखीय विभागों को दी जाने वाली राशि उपलब्ध कराने में उदारवादी होने को कहा। बैठक में 15 करोड़ रूपये की लागत से आपदा के त्वरित प्रतिवादन के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आईआरएस सिस्टम और सॉफ्टवेयर को भी मंजूरी दी गयी। मुख्य सचिव ने इसमें आईटीडीए को भी शामिल किए जाने के निर्देश दिए।


मुख्य सचिव ने 30 करोड़ की लागत के प्राकृतिक विपत्तियों के कारण क्षतिग्रस्त पेयजल योजनाओं की तात्कालिक मरम्मत और पुनर्निर्माण कार्यों को सहमति दी। उत्तराखण्ड जल संस्थान के अधिकारियों से उन्होंने प्रदेशभर के अधिक से अधिक कार्यों को शामिल करने के भी निर्देश दिए। कहा कि प्राकृतिक विपत्तियों के कारण पाइपलाइंस टूटने से बहुत से क्षेत्रों को पानी की समस्या से जूझना पड़ता है,और इसके लिए शीघ्र बैठकें आयोजित कर सैचुरेशन प्लान तैयार करने की बात उन्होंने कही।


बैठक में सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, आर. राजेश कुमार, हरिचंद्र सेमवाल,वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत,अपर सचिव आपदा प्रबंधन सविन बंसल सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।