तीन दशक से बंद परम्परा को फिर चलाया जागेश्वर के युवाओं ने जागेश्वर से झाकर सैम पहुंची जातुरा

अल्मोड़ा। सोमवार को जागेश्वर धाम से झाँकर सैम तक ढोल-नगाड़ों के साथ जातुरा (धार्मिक यात्रा) निकाली गई।इसमें जागेश्वर और आसपास के ग्रामीनों ने भाग लिया।…

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अल्मोड़ा।
सोमवार को जागेश्वर धाम से झाँकर सैम तक ढोल-नगाड़ों के साथ जातुरा (धार्मिक यात्रा) निकाली गई।इसमें जागेश्वर और आसपास के ग्रामीनों ने भाग लिया। होली के बाद जातुरा की ये परम्परा सदियों पुरानी है।
सोमवार को इस जातुरा का शुभारंभ ज्योतिर्लिंग जगनाथ मंदिर से हुआ। विधिवत पूजा-अर्चना और जागेश्वर धाम की परिक्रमा के बाद ये जातुरा तीन किमी पैदल दूरी पर स्थित झाँकर सैम मंदिर को रवाना हुई। इस यात्रा में जागेश्वर, मंटोला, गोथ्यूड़ा और बहताड़ गांव के पुरुष और महिलाएं भगवान के जयकारे लगाते हुए चल रहीं थीं। करीब दो घण्टे में ये यात्रा झाँकर सैम मंदिर पहुंची। उसके बाद वहां विधिविधान से पूजन शुरू हुआ। साथ ही महिलाओं ने मंदिर में भजन कीर्तन भी किये। इससे समूचे क्षेत्र का माहौल भक्ति और आस्था से सराबोर हो गया। भंडारे के बाद जातुरा का समापन हुआ।

तीन दशक तक विलुप्त रही परम्परा
स्थानीय लोगों के अनुसार होली के बाद जातुरा की ये अद्भुत परम्परा सदियों पुरानी है। कई दशक पूर्व तक इस जातुरा में बलि प्रथा का भी चलन हुआ करता था। करीब तीन दशक पूर्व जातुरा की परंपरा विलुप्त हो गई थी, जिसे करीब पांच साल पूर्व दोबारा शुरू किया गया था। मंदिर प्रबंधन समिति, पुजारी, जनप्रतिनिधि और स्थानीय युवाओं का इसमें अहम योगदान है। जातुरा में ज्योतिर्लिंग जागनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी हेमंत भट्ट, मंदिर समिति प्रबन्धक भगवान भट्ट, ग्राम प्रधान हरि मोहन भट्ट, महामृत्युन्जय मंदिर के प्रधान पुजारी शुभम भट्ट, हरीश नाथ, कुबेर पुजारी नवीन चंद्र भट्ट, लाल बाबा, पूर्व छात्रनेता गिरीश भट्ट, देवकी नंदन भट्ट, हनुमान भट्ट, खीमानंद भट्ट आदि ने व्यवस्थाओं में सहयोग किया।