जीबी पंत पर्यावरण संस्थान चीता संरक्षण(cheetah conservation) के लिए विद्यालयों के बीच चलाया जा रहा है जागरुकता अभियान

GB Pant Environment Institute is running awareness campaign among schools for cheetah conservation गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा अल्मोड़ा जिले के विभिन्न…

cheetah conservation

GB Pant Environment Institute is running awareness campaign among schools for cheetah conservation

गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा अल्मोड़ा जिले के विभिन्न विद्यालयों में पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन इनविस सचिवालय द्वारा पूरे देश के अधिकांष विद्यालयों, कॉलेजों, शोध संस्थानों एवं प्रकृति प्रेमियों आदि के मध्य चीता को पुर्नस्थापित(cheetah conservation) करने पर एक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

अल्मोड़ा, 13 सितंबर 2022- गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा अल्मोड़ा जिले के विभिन्न विद्यालयों में पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन इनविस सचिवालय द्वारा पूरे देश के अधिकांष विद्यालयों, कॉलेजों, शोध संस्थानों एवं प्रकृति प्रेमियों आदि के मध्य चीता (Acinonyx jubatus ) को पुर्नस्थापित करने पर एक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।


गौरतलब है कि, भारत में सन् 1952 में औपचारिक रूप से चीता प्रजाति विलुप्त हो गयी थी, जो पूर्व में भारत के विभिन्न राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेष, उत्तर प्रदेष, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखण्ड, तथा दक्षिण में तमिलनाड में पूर्ण रूप से विद्यमान थी।


सन् 1947 में महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव द्वारा आखिरी तीन चीतों का शिकार किया गया। भारत से चीतों के विलुप्त होने का प्रमुख कराण उनका मनोंरंजन के तौर पर शिकार तथा उनके आवासों पर मानवीय दखल करना माना जाता है। इन चीतों को पर्यावरण, वन एवं मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका एवं नामीबीया से 16 चीतों को लाया जा रहा है।


जिसकी प्रथम खेप 17 सितम्बर 2022 को भारत में चीतों की अनुकुलता एवं भोजन की उपलब्धता आधार पर मध्यप्रदेष के कूना नेशनल पार्क को चुना गया है। जहां वर्तमान में नील गाय, सुअर, लंगूर, लकड़बग्गा, हिरन, चीतल आदि विभिन्न प्रजातियाँ पहले से निवास कर रही है।

इस कार्यक्रम का संचालन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन इनविस सचिवालय में अरून कुमार, वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार, सुश्री लिपिका राय, उप निदेषक, डॉ उमन्ना सांरगी सह निदेषक तथा सुश्री शान्तनु सरकार सहायक निदेषक एवं रजनीश, श्री रंजन कुमार, पूनम एवं रवि गोस्वामी द्वारा देष भर के 60 इनविस केन्द्रों के माध्यम से पूरे देष भर में देषव्यापी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

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जीबी पंत पर्यावरण संस्थान चीता संरक्षण(cheetah conservation) के लिए विद्यालयों के बीच चलाया जा रहा है जागरुकता अभियान


जिसके तहत विभिन्न कार्यक्रम जैसे क्विज, पेंटिग, स्लोगन, निबंध, रैली आदि प्रतियोगितायें आयोजित किये जा रहे है। इस उददेष्य को पूर्ण करने हेतु पर्यावरण संस्थान कोसी-कटारमल के इनविस केन्द्र द्वारा अल्मोड़ा जिले के विभिन्न विद्यालयों में चीता के पुर्नस्थापन हेतु 12 से 16 सितम्बर तक जागरूक अभियान चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ0 परोमिता घोष, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं इनविस समन्वयक, के नेतृत्व में चलाया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होने कहा कि, इस तरह के जागरूकता अभियानों से छात्र-छात्राओं के मध्य न सिर्फ जागरूकता बढ़ेगी बल्कि आने वाले दिनों में चीता के संरक्षण के क्षेत्र में भी अपना योगदान दे सकेंगें।


इस कार्यक्रम के प्रथम चरण में राजकीय इण्टर कॉलेज, स्यालीधार, राजकीय इण्टर कॉलेज, हवालबाग, राजकीय इण्टर कॉलेज, अल्मोड़ा, राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज, अल्मोड़ा, केन्द्रीय विद्यालय, अल्मोंड़ा आदि विद्यालयों को चुना गया।


सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापाकों ने इस कार्यक्रम के लिए उनके विद्यालयों को चुने जाने पर खुशी व्यक्त की गयी है। इस कार्यक्रम में इनविस केन्द्र के कार्यक्रम अधिकारी डा0 महेशा नन्द द्वारा स्लाइड शो के माध्यम से छात्र-छात्राओं को चीता को पुर्नस्थापित करने तथा पारिस्थितिकी में चीता की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिया तथा इस कार्यक्रम को आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए सोशल मिडीया प्लेटफॉर्म पर सूचना अधिकारी कमल टम्टा द्वारा किया जा रहा है।


इस कार्यक्रम हेतु पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो0 सुनील नौटियाल एवं केन्द्र प्रमुख सामाजिक आर्थिक विकास केन्द्र ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से विज्ञान को आम जनमानस तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।