बड़ा सवाल! ऐसे में कैसे होगी 2020 तक सड़क दुर्घटनों की संख्या आधी, लगातार घट रहा है सार्वजनिक यातायात, छोटे शहरों की हालत और चिंताजक

अल्मोड़ा। देश में 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को आधा करने के विराट लक्ष्य को लेकर चल रही सरकार देश में सड़क व यातायात…

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photo- uttra news

अल्मोड़ा। देश में 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को आधा करने के विराट लक्ष्य को लेकर चल रही सरकार देश में सड़क व यातायात की स्थिति सुधारे बिना इस लक्ष्य को प्राप्त करना दूर की कौड़ी लग रहा है। सुरक्षित यातायात और जागरूकता की कमी से प्रति वर्ष उत्तराखंड जैसे छोटे प्रदेश में 1000 लोग कालकलवित हो रहे हैं। इसमें युवाओं की संख्या अधिक है।
अमन संस्था और समनेट समूट के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि देश और छोटे शहरों में इस ओर कोई प्लानिंग नहीं की गई है। देश में सार्वजनिक यातायात लगातार कमजोर हो रहा है सड़के अतिक्रमण के चलते या तो संकरी हो रही है या फिर उनको चौड़ा किया जाना संभव नहीं है। जबकि सड़क अधिकार भी लोकतांत्रिक अधिकार हैं।
अमन संस्था के कार्यालय में आयोजित मीडिया कार्यशाला में प्रमुख रघु तिवारी ने कहा कि संस्था सस्टनेबिल अर्बन मोबलिटी नेटवर्क (समनेट) नामक राष्ट्रीय समूह के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य कर रहा है। अब तक देश के 9 राज्यों में पैदल यात्रियों के अधिकारों पर कार्य किया जा रहा है।
कार्यशाला में बताया कि देश में सार्वजनिक यातायात की पैरवी करना एक नागरिक अधिकार है, क्योंकि देश में लगातार निजी यातायात बढ़ रहा है और सरकार के सड़क विस्तारीकरण के सभी प्रयास इसके लिए नाकाफी हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि निजी यातायात भी न तो पूरा रोजगार दे रहा है और न ही पूरी सुरक्षा। अंततः वाहन उद्योग इससे लाभान्वित हो रहा है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा बीते एक साल में अल्मोड़ा में यातायात का अध्ययन, छात्रों व नागरिकों के बीच जागरूकता अभियान के साथ अनेक कार्यों को इस बीच संपादित किया गया। उन्होंने अल्मोड़ा और उत्तराखण्ड पर आधारित एक रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए बताया कि उत्तराखण्ड राज्य भी हर साल एक हजार से अधिक लोगों को सड़क दुर्घटनाओं में खोता है, जबकि दो हजार से अधिक लोग हर साल घायल होते हैं। सड़कों से जुड़े तनाव, दुर्घटनाएं आदि सरकार, अर्थव्यवस्था, समाज को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। इस अवसर पर शेखर जोशी ने पावर प्वाइंट प्रस्तुति के द्वारा अल्मोड़ा नगर में विभिन्न क्षेत्रों में यातायात, अतिक्रमण, पैदल यात्रियों की स्थिति, पैदल पथों के स्थिति आदि पर अपने रिपोर्ट प्रस्तुत की।
डा. पुष्कर बिष्ट ने अध्ययन के आकंड़े के अनुसार बताया कि अल्मोड़ा में अ​भी दोपहिया वाहनों का प्रतिशत 15 से 20 है यदि यह आने वाले वर्षों में 35 तक पहुंचा तो स्थिति को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा। चन्द्रशेखर जोशी ने भी प्रोजेक्टर के माध्यम से अध्ययन की जानकारी को सामने रखा।
दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार अमित भट्टाचार्य ने कहा कि आज इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों के सहयोग से कम मानव संसाधन में भी बड़े सार्वजनिक यातायात को संचालित किया जा सकता है। इस अवसर पर मीडिया कर्मियों ने भी अनेक सुझाव प्रस्तुत किए। कार्यशाला में अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर यह संस्तुति की गई कि भारत के हर भू-भाग में सार्वजनिक यातायात को प्रोत्साहित किया जाए। सड़कों को अतिक्रमण मुक्त, पार्किंग व्यवस्था, सख्त लाइसेंस प्रणाली को विकसित करने करने के साथ ही यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाय।
इस अवसर पर पत्रकार अमिति सेन, किशन जोशी, निर्मल उप्रेती, नवीन उपाध्याय, प्रमोद जोशी, बृजेश तिवारी, प्रमोद डालाकोटी, शिवेंद्र गोस्वामी, नसीम अहमद, दीपक मनराल, कैलाश सिंह, अमन संस्था की नीलिमा भट्ट, पुष्कर बिष्ट, डाॅ. अर्चना लोहनी, रेनू नेगी आदि इस कार्यशाला में मौजूद रहे।

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