अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव परमार्थ निकेतन में ड्रम के ताल पर मनायी गयी होली

विविधता में एकता में ही है योग का संयोग -स्वामी चिदानन्द सरस्वती ऋषिकेश सहयोगी । परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, के एसोसियेशन से…

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विविधता में एकता में ही है योग का संयोग -स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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फोटो -उत्तरान्यूज

ऋषिकेश सहयोगी । परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, के एसोसियेशन से परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित 30 वें वार्षिक विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन विश्व प्रसिद्ध तालवादक एवं ड्रम वादक शिवमणि जी के ड्रम और संगीत की थाप पर परमार्थ निकेतन में ’’होलिका रंग महोत्सव’’ मनाया गया। उनकी मनमोहक प्रस्तुति पर सभी योगाचार्य एवं योग साधक झूमने लगे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने विश्व शान्ति की प्रार्थना एवं विशेष ध्यान करवाते हुए होली पर्व एवं रंगों का आध्यात्मिक महत्व बताते हुये विश्व बन्धुत्व, वसुधैव कुटुम्बकम, सादगी, सद्भाव, समरसता एवं स्वच्छता का संदेश दिया। 
ड्रम और ढ़ोल की ताल पर फूलों की वर्षा के साथ सद्भाव और समरसता का पर्व होली मनाया गया। इस महोत्सव के माध्यम से विश्व के विभिन्न देशों से आये योगियों और योगाचार्यों ने भारतीय परम्परा और पर्व के महत्व एवं मर्म को जाना
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आये योग जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा ’सब को एक साथ आकर शान्तिपूर्ण परिवार, शान्तिपूर्ण राष्ट्र और शान्तिपूर्ण दुनिया के निर्माण हेतु अपनी शक्ति, सामथ्र्य और ऊर्जा का उपयोग करने का संदेश दिया। आप सभी योग जिज्ञासु भारत की इस प्रचीनत्तम विधा को आत्मसात कर दुनिया में प्रसारित करने के साथ यहां से वैदिक मंत्र वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश और शान्ति की मशाल लेकर आगे बढ़े । उन्होने कहा कि होली हमें विश्व बन्धुत्व, सादगी, सद्भाव, समरसता एवं स्वच्छता का संदेश देती है। साथ ही ’विविधता में एकता’ के सूत्र को ग्रहण करें यही तो योग का संयोग है।
 
 अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि योग की राजधानी ऋषिकेश के कण-कण में योग समाहित है, इसे ग्रहण करें। ध्यान के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि ध्यान के लिये प्रयत्न नहीं बल्कि ध्यानमय जीवन जीने की जरूरत है। जहां पर प्रयत्न होगा वहां ध्यान नहीं हो सकता; ध्यान करने की नहीं स्वतः होने की अवस्था है, जिस तरह माँ गंगा अपने संगीत के साथ निरन्तर प्रवाहित होती है उसी प्रकार ध्यान को भी शरीर में प्रवाहित होने दें। उन्होने कहा कि जीवन में प्रेम, करूणा, उदारता, धैर्य और क्षमा आदि गुणों का विकसित होना ही ध्यान का प्रथम सोपान है।  ध्यान करने की नहीं जीने की विधा है।’’
विशेष सत्र-
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारम्भ विश्व के विभिन्न देशों से आये आदिवासी और जनजाति के प्रमुखों ने 5:00 बजे ’’स्वेट लाॅज’’ साधना के माध्यम से शरीर के शुद्धिकरण समारोह में अपनी स्थानीय भाषा में प्रार्थना, गीत-संगीत और ध्यान की संयुक्त प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न किया। जिसमें विश्व शान्ति, महिला सशिक्तकरण, पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रार्थना की।
प्रातःकाल योगाचार्य पाउला तापिया ने योग सत्र को मल्टी-कल्चरल डे के रूप में 
खास बनाया। ’’पारम्परिक हठ योग’’ योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती जी, ’’सेके्रड सांउंड हीलिंग’’, मिशेल बूटोन वृंदा देवी, डाॅ ईडन गोल्डमैन ने ’’सुद योर इंसाइडस्-माइंडफुलनेस, ध्यान, प्राणायाम और योगिक स्टोरी टेलिंग,’’ अमरीका की आनन्द्रा जार्ज ने गंगा के तट पर सूर्योदय के साथ ’’नाद योग’’ संगीत ध्यान कराया। तत्पश्चात अमरीका से आये योगाचार्य टाॅमी रोजन ने ’’रिवर आॅफ क्रिया’’ पर ध्यान कराया। योग घाट पर अमरीका से आयी योग के क्षेत्र में सुपरपावर सुश्री शाॅन काॅर्न ने जागृति योग का नेतृत्व किया। सेके्रड साउंड हीलिंग (पवित्र ध्वनि मंच) पर योगाचार्य करेन न्यूमैन ने ’’द ग्रेट हीलिंग मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र से हीलिंग करायी। दोपहर के सत्र में स्पेनिश और अंग्रेजी में पुनर्जन्म सत्र पर श्री जय हरि सिंह जी द्वारा, डाॅ जी एस गुप्ता जी द्वारा आयुर्वेद की कक्षा, अमरीका से आयी आयुर्वेदाचार्य, योगाचार्य और विख्यात लेखक लौरा प्लम्ब ने ’वैदिक पौराणिक कथायें और चार देवियोें की जागृति साधना’, सेके्रड साउंड स्टेज में ’द लव की’ (दिव्य प्रेम के सूत्र) तथा सुखदायक मंत्रों के माध्यम से श्वासन का अभ्यास कराया गया। योगाचार्य जोसेफ शमीडलिन ने हार्मोनिक स्पाइन म्यूजिक फाॅर मेडिसिन, गुजरात से विशेष रूप से पधारे अक्षय एवं भरत भाई की टीम, नृत्यावली ग्रुप द्वारा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी गई।

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साथ ही योग की अनेक कक्षायें प्रातः 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक सम्पन्न हुई जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगार योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सेमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले योग के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त  ध्यान, मुद्रा, वैदिक मंत्र, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न हो रही है। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों एवं धर्मगुरूओं द्वारा धार्मिक सवांद, जिज्ञासा समाधान एवं प्रश्नोत्तरी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में हो रहा है।
इस आध्यात्मिक सत्संग, साधना एवं व्याख्यान श्रंखला में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, शंकराचार्य स्वामी दिव्यानन्द तीर्थ जी महाराज, राधानाथ स्वामी , साध्वी भगवती सरस्वती ने ध्यान, योग और आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी सम्पन्न की। इस श्रंखला में कोलम्बियाई आध्यात्मिक जनजाति प्रमुख एवं हीलर टिटो जूलियो मुनोज़, बेरितो कुवरवा और मार्सेलियानो और माता एबेलो टोनलिमल जी ने हीलिंग मंत्र का अभ्यास और  विश्व के विभिन्न देशों से आये जनजाति और आदिवासियों के प्रमुखों ने अपनी स्थानीय भाषा में महिला सशक्तिकरण हेतु प्रार्थना की तथा मिलकर काम करने का संकल्प लिया। विश्व के विभिन्न देशो से आये योगाचार्यो एवं योग जिज्ञासुओं ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में  भारत, स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल, चीन, मैक्सिको, बेल्जियम, अमेरिका, कोलम्बिया, नीदरलैण्ड, पेरू, अर्जेन्टीना, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, इटली, नार्वे,  जर्मनी, तिब्बत, भूटान, रूस, इजरायल, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, स्वीडन, हांगकाग, बेल्जियम, स्विट्जरलैण्ड, बहरीन, अफगानिस्तान, अफ्रीका, सिंगापुर, ताईबान, फिलिस्तीन, ईरान, जापान, केन्या, यमन, पेलस्टाईन, चीन, सिंगापुर, ताईबान, बैंकाक, नामिबिया, इक्वेडोर, कोलम्बिया, ग्वाटेमाला, आॅस्ट्रिया, क्यूबा, चिले, थाईलैण्ड, तुर्की, ब्रिटेन, दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के विभिन्न देेशों के योग जिज्ञासुओं ने सहभाग किया।

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