वीएल स्याही लौह हल सरकारी योजनाओं में शामिल होगा तो बचेंगे जंगल— स्याही देवी विकास समिति ने सरकार से की मांग

अल्मोड़ा। कृषि उपकरणों के लिए लकड़ी के अनियंत्रित कटान को रोकने के प्रयास में जुटी स्याही देवी विकास समिति ने एक बार फिर सरकार से…

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अल्मोड़ा। कृषि उपकरणों के लिए लकड़ी के अनियंत्रित कटान को रोकने के प्रयास में जुटी स्याही देवी विकास समिति ने एक बार फिर सरकार से जंगलों के कटान को बचाने के उद्देश्य से वैज्ञानिक सहयोग से विकसित किए गए वीएल स्याही लौह हल के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए इसे सरकारी योजनाओं में शामिल कराने की मांग की है। समिति ने प्रतिनिधिमंडल ने देहरादून में प्रमुख सचिव कृषि व प्रमुख सचिव वन से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा है।
समिति ने हल आदि कृषि उपकरणों के निर्माण के लिए काटे जा रहे पेडों को बचाने के लिए और हर जरुरत मंद किसान को वीएल स्याही हल उपलब्ध कराने की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण पेड़ों को कटने से बचाने के लिए विकसित किए गए वीएल स्याही लौह हल को सरकारी योजनाओं में शामिल किया जाना जरूरी है ताकि इसकी पहुंच और प्रसार प्रचार लोंगों तक पहुंचे। समिति का कहना था कि वीएल स्याही लौह हल को वर्तमान में उत्तराखंड के छह जिलों के किसान अपना रहे हैं। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक सहयोग से बनाए गए इस हल को किसान पसंद कर रहे हैं। समिति की ओर से अल्मोड़ा में 3200,चमोली में 600,टिहरी में 300, पिथौरागढ़ में 200,पौड़ी में 40, बागेश्वर में 290 सहित कुल 4500 किसानों द्वारा अपनाया गया है। समिति ने हल के प्रयोग को और प्रसारित करने के लिए इसे ग्राम्या, आजीविका, आत्मा ​सहित विभिन्न महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं में शामिल करने का अनुरोध किया है ताकि इस हल को और लोक​प्रियता हासिल हो सके और किसान इसके प्रयोग को बढ़ाऐं। प्रतिनिधिमंडल में समिति के संयोजक गिरीश चंद्र शर्मा तथा सलाहकार गजेंद्र कुमार पाठक शामिल थे।