हाईस्कूल व इंटरमीडिएट कॉलेजों में कंप्यूटर साइंस को अनिवार्य विषय के रूप में स्थापित कर स्थाई पद स्वीकृत करने की मांग

अल्मोड़ा। कंप्यूटर के इस दौर में राज्य की शिक्षा व्यवस्था में कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाने की मांग जोर पकड़ती जा…

अल्मोड़ा। कंप्यूटर के इस दौर में राज्य की शिक्षा व्यवस्था में कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। सरकार ने स्कूलों में कंप्यूटर्स व अन्य उपकरणों की व्यवस्था तो की है लेकिन एक प्रशिक्षित शिक्षकों की ना तो व्यवस्था की और न ही इस विषय को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल ही किया गया है। इससे सरकारी विद्यालयों में करोड़ों रूपये के कंप्यूटर संचालित नहीं हो पा रहे हैं।
उत्तराखंड प्रशिक्षित कंप्यूटर्स बेरोजगार संगठन ने सरकार से राज्य में कंप्यूटर शिक्षा को व्यवहार में लाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की है।
संगठन का कहना है कि आज के समय में कंप्यूटर की उपयोगिता सर्वागीण क्षेत्र में है, चाहे वह ऑफिस हो या घर हो या चुनाव या कोई भी क्रांति ही क्यों ना हो। लेकिन इतना महत्वपूर्ण विषय होने के बावजूद भी कंप्यूटर साइंस अभी तक उत्तराखंड के सरकारी हाईस्कूल/इंटरमीडिएट कॉलेजों में अनिवार्य/नियमित विषय के रूप में स्थापित नहीं किया गया है, जबकि शारीरिक शिक्षा, गृह विज्ञान, पुस्तक कला , ड्राइंग एंड पेंटिंग , उर्दू , संस्कृत , योग, वेद, संगीत एवं कला जैसे कई अन्यान्य विषयों को उत्तराखंड के सरकारी हाई स्कूल/इंटरमीडिएट कॉलेजों में अनिवार्य/नियमित विषय के रूप में स्थापित किया गया है, किन्तु Computer Science जैसे अतिमहत्वपूर्ण विषय को उत्तराखंड के सरकारी हाईस्कूल/इंटरमीडिएट स्तर के कॉलेजों में अनिवार्य/नियमित विषय के रूप में स्थापित नहीं किया गया हैं ।

संगठन का कहना है कि उत्तराखंड की अधिकाँश जनता लोअर मिडिल क्लास/गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करती है, जब उस गरीब वर्ग के पास दो जून की रोटी की व्यवस्था करना ही एक टेडी खीर है तो वह व्यक्ति कहाँ से किसी प्राइवेट संस्थान से लाखों रूपया खर्च करके कंप्यूटर शिक्षा ग्रहण कर पायेगा। संगठन के अनुसार अगर उत्तराखंड सरकार द्वारा ​कंप्यूटर विज्ञान विषय को हाईस्कूल/इंटरमीडिएट विद्यालयों में अनिवार्य/ नियमित विषय के रूप स्थापित किया जाएगा तो मध्यमवर्गीय/गरीब का बच्चा भी इए आधुनिक विषय की पढाई निःशुल्क कर पायेगा, जो सही मायनों में गरीब/मध्यम वर्ग की सच्ची सेवा होगी। इस विषय को अनिवार्य/नियमित विषय के रूप में मान्यता प्रदान की जाती है तो, उत्तराखंड के सरकारी हाईस्कूल/इंटरमीडिएट विद्यालयों में लगातार कम हो रही छात्र संख्या में रोक लगेगी और निश्चित ही छात्र संख्या बढेगी।

संगठन का कहना है कि वर्तमान में फिजिक्स / केमिस्ट्री / मैथमेटिक्स वाले अध्यापकों को 15 दिन का प्रशिक्षण देकर उनसे कंप्यूटर विषय पढाने के लिए कहा जाता है जो कि सरकारी धन का दुरुपयोग मात्र है, जिसके परिणाम स्वरुप फिजिक्स / केमिस्ट्री / मैथमेटिक्स वाले अध्यापक ना तो अपना मूल विषय पढा पा रहा है। जिससे विद्यालय में पढने वाले छात्रों का नुक्सान हो रहा है, जिसके परिणाम स्वरुप सरकारी विद्यालयों में लगातार छात्र संख्या घट रही है, जबकि दूसरी ओर उत्तराखंड में 9 लाख प्रशिक्षित कंप्यूटर ग्रेजुएट बेरोजगार घूम रहे हैं।
संगठन ने कहा कि स्नातक/परास्नातक कंप्यूटर साइंस विषय के अतिरिक्त हाईस्कूल / इंटरमीडिएट कक्षाओं के छात्रों को इंग्लिश/गणित आदि विषय पढाने में भी सक्षम होते हैं, जिससे कि उत्तराखंड के सुदूर स्थित विदयालयों में उपरोक्त विषयों के अध्यापकों की कमी को प्रशिक्षित स्नातक/परास्नातकों की स्थाई नियुक्ति द्वारा पूरा किया जा सकता है। संगठन से जुड़े पुनीत वर्मा ने जल्द ही कंप्यूटर विषय को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की मांग सरकार से की है।