तो उत्तराखंड कांग्रेस (Uttarakhand Congress)में होगी टूट?— इशारे और इरादे तो यहीं जता रहे नजारे न जाने क्या होंगे

there will be a break in Uttarakhand Congress? देहरादून,12 अप्रैल 2022— उत्तराखंड प्रदेश में सरकार बनाने से असफल रही कांग्रेस(Uttarakhand Congress) अब संगठन में एकजुट…

there will be a break in Uttarakhand Congress?

there will be a break in Uttarakhand Congress?

देहरादून,12 अप्रैल 2022— उत्तराखंड प्रदेश में सरकार बनाने से असफल रही कांग्रेस(Uttarakhand Congress) अब संगठन में एकजुट रहने में भी असफल दिख रही है। खासकर प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के बाद कांग्रेस की गुटबाजी अब बाहर आने को बेताब है।


चर्चाओं और बयानों की माने तो कांग्रेस (Uttarakhand Congress)ने एक बड़ी टूट के इरादे और इशारे दिख रहे हैं। एक दो दिन के भीतर इसके नजारे भी दिख जाऐगे।

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राजनीति हलकों से आ रही खबरों की माने तो कांग्रेस में नाराजगी बहुत बढ़ गई है और कांग्रेस में एक बड़ी टूट हो सकती है। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक करीब 10 विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। सोशल मीडिया की चर्चाओं में इनकी सख्या 13 तक गिनी जा रही है।

सूत्रों के अनुसार 10 विधायक कल यानि बुधवार को देहरादून में गोपनीय बैठक करेंगे। इसमें 5 विधायक कुमांऊ के बताए जा रहे हैं तो तीन से पांच विधायक गढ़वाल मंडल के बताए जा रहे हैं।

चर्चाओं के अनुसार इस बैठक के बाद कुछ विधायक पार्टी भी छोड़ सकते है। बताते चलें कि प्रदेश में कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष, उपनेता प्रतिपक्ष और पीसीसी चीफ की घोषणा के तुरंत बाद यह नाराजगी आई है। अधिकांश जिलों में अपने अपने नेताओं या विधायकों के समर्थन में कार्यकर्ताओं ने सामुहिक इस्तीफे देने की खबरे हैं। अल्मोड़ा के द्वाराहाट और पिथौरागढ के धारचूला में भी कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दिया है।

बताते चले कि उत्तराखंड में कांग्रेस(Uttarakhand Congress) के पास कुल 19 विधायक हैं। पार्टी में संवैधानिक टूट के लिए कम से कम 13 विधायकों का एक साथ होना जरूरी है। अन्यथा उनकी विधायकी पर संकट आ सकता है। इस स्थिति से नाराज विधायक भी वाकिफ हैं।

इसलिए गोपनीय बैठक के बहाने अधिक से अधिक नाराज विधायकों को साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि यदि इस वक्त कांग्रेस(Uttarakhand Congress) में बड़ी टूट हुई तो तात्कालिक हित भले ही सध जाएं लेकिन आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए यह कांग्रेस की दृष्टि से सबसे कमजोर करने वाला कारण होगा।