‘उत्तराखंडा मेरी मातृ भूमि’ जनगीत गूंज रहा है प्रार्थना सभाओं में- इंटरनेट पर हो रहा है हिट

कई स्कूलों में नियमित प्रार्थना सभाओं में गाया जा रहा है ‘उत्तराखंडा मेरी मातृ भूमि’ अल्मोड़ा।उत्तराखंड राज्य बनने से पूर्व ही राज्य और पहाड़ प्रेमियों…

उत्तराखंडा मेरी मातृ भूमि' जनगीत गूंज रहा है प्रार्थना सभाओं में

कई स्कूलों में नियमित प्रार्थना सभाओं में गाया जा रहा है ‘उत्तराखंडा मेरी मातृ भूमि’

अल्मोड़ा।उत्तराखंड राज्य बनने से पूर्व ही राज्य और पहाड़ प्रेमियों द्वारा गया जाने वाला जनगीत ‘उत्तराखंडा मेरी मातृ भूमि’ अब वास्तव में राज्य के प्रति प्रेम प्र​दर्शित करने वाला जन लोक गीत बन गया है। इस गीत में राज्य के प्रति भावना और समर्पण के प्रेम को देखते हुए कई संस्थानों और विद्यालयों में इसे प्रार्थना के रूप में गाया जाने लगा है। प्रा​र्थना के बाद यह गीत और कर्णप्रिय होकर निखरा है और इनदिनों इंटनेट में वायरल होकर धूम मचा रहा है।


मालूम हो कि एक दौर में यह गीत अलग राज्य के लिए संघर्ष करने वालों या समाजिक आंदोलनों में भाग लेने वालों को मुख्य उत्साहजनक जनगीत माना जाता था। राज्य बनने से पूर्व ही आंदोलनकारी इस गीत को गाकर यूपी राज्य के इस पर्वतीय क्षेत्र के प्रति अपने प्रेम को प्रगट करते थे। राज्य के प्रसिद्ध जन आंदोलनकारी गिरीश तिवारी गिरदा का भी यह प्रिय गीत था बाल सभाओं और सा​थियों के बीच वह इसे बड़े सुरीले और आकर्षक अंदाज में गाते थे।

प्राथमिक विद्यालय धौलछीना की प्रार्थना सभा में भी गाया जा रहा है ‘उत्तराखंडा मेरी मातृ भूमि’


देखें डीडीहाट डायट में ‘उत्तराखंडा मेरी मातृ भूमि’ की प्रस्तुति का वीडियो

कुमाऊंनी बोलों में पिरोया गया ‘उत्तराखंडा मेरी मातृ भूमि’ जनगीत जितना उत्साहजनक है उतना ही कर्णप्रिय भी है। एक बार इसे सुनने वाला बिना इसे गुनगुनाए नहीं रह सकता है। अल्मोड़ा में राजकीय प्राथमिक विद्यालय धौलछीना में शिक्षकों ने इसे प्रार्थना के रूप में गाना शुरू किया । कई अन्य स्कूलों ने भी इसे अपनाया है। साथ ही जिला शिक्षण एंव प्रशिक्षण संस्थान डीडीहाट पिथौरागढ़ के प्रशिक्षु भी इसे शानदार तरीके से गा रहे है। अब यह जनगीत बच्चों की सुरीली आवाज में इंटरनेट में वाइरल हो रहा है और लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है।

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