Pithoragarh- युवा पत्रकार किशोर ह्यूमन की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन

छात्र-युवाओं ने पुलिस के इस कदम को उत्पीड़न व अन्य जरूरी मुद्दे उठाने वाले पत्रकारों व आम नागरिकों को डराने की कोशिश बताया कहा- पुलिस…

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छात्र-युवाओं ने पुलिस के इस कदम को उत्पीड़न व अन्य जरूरी मुद्दे उठाने वाले पत्रकारों व आम नागरिकों को डराने की कोशिश बताया

कहा- पुलिस प्रासन मुद्दे उठाने वाले को ही जेल में डाल कर अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रही, जल्द रिहाई की मांग

पिथौरागढ़। युवा पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता किशोर ह्यूमन यानि किशोर कुमार की गिरफ़्तारी से युवाओं में रोष है। इस मामले को लेकर युवाओं ने मंगलवार को कलक्ट्रेट स्थित धरना स्थल पर हाथों में पोस्टर लेकर किशोर की रिहाई के लिए प्रदर्शन किया।

नारेबाज़ी के बीच युवाओं ने कहा कि एक पत्रकार की इस तरह संगीन धाराओं में मुक़दमा दर्ज कर गिरफ़्तारी स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए बड़ा ख़तरा है। इससे भविष्य में इस तरह के उत्पीड़न के मुद्दों को उठाने वाले पत्रकारों व आम नागरिकों के लिए एक भय का माहौल भी तैयार होता है।
धरना स्थल रामलीला मैदान में एकत्रित हुए युवाओं ने किशोर पर दर्ज मुक़दमों को द्वेषपूर्ण बताते हुए उन्हें वापस लेने और शीघ्र किशोर की रिहाई की मांग की। युवाओं ने इसे संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर हमला बताया और कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के प्रयासों के खिलाफ जोरदार आवाज़ उठायी जाएगी।

पोस्टरों के ज़रिए युवाओं ने पुलिस को संदेश दिया कि पुलिस को मुद्दा उठाने वालों का नहीं बल्कि मुद्दों का संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली पर तंज कसते हुए पत्रकारों का स्वतः संज्ञान नहीं बल्कि ज़िले में चल रहे अवैध कारोबारों और स्मैक, चरस आदि नशाखोरी का स्वतः संज्ञान लेने की नसीहत दी।

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष महेंद्र रावत ने कहा कि किशोर लंबे समय से सामाजिक मुद्दों को उठाते रहे हैं। चंपावत में भोजन माता प्रकरण, रमेश राम मामले, उत्तराखंड में अम्बेडकर हॉस्टलों की स्थिति, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक परिवहन के मुद्दों से लेकर एक आरटीआई सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते भी कई जरूरी मुद्दों को वे उठा रहे थे जिससे शासन-प्रासन की किरकिरी हो रही थी। इन मुद्दों पर कार्यवाही करने के बजाय पुलिस प्रासन मुद्दे उठाने वाले को ही जेल में डाल कर अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रही है, जो बेहद निराशाजनक और आक्रोशित करने वाला है।

छात्र नेता अभिषेक कोहली ने कहा कि पुलिस द्वारा एक पत्रकार पर इस तरह की कार्यवाही करना शर्मनाक घटना है। पत्रकार जिन मुद्दों को प्रकाश में ला रहे हैं, पुलिस द्वारा उन घटनाओं की जांच करने के बजाय पत्रकारों को ही जेल में बंद कर देना यह दिखाता है कि किस तरह अपराध मुक्त प्रदेश बनाने के दावे उत्तराखंड पुलिस द्वारा किये जा रहे हैं।

छात्रा अमीषा महर ने कहा कि शहर में सैंकड़ों युवा नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं, लेकिन पुलिस नशे और नशा माफियाओं पर तो कोई कार्यवाही कर नहीं पा रही है, उल्टे जो पत्रकार सामाजिक मुद्दों को उठा रहे हैं उन्हें ही असामाजिक कह कर जेल का खौफ दिखा रही है। छात्र किशन कुमार ने कहा कि किशोर पर लगे मामलों को अगर जल्द वापस नहीं लिया गया तो छात्र-छात्राएं सड़कों पर उतरने को विवश होंगे।

प्रदर्शन में नीरज, महेंद्र रावत, सागर, कृष्णा, रवींद्र, गणेश, अमीषा महर, पंकज, नरेंद्र, तरुण, अभिषेक, धीरज, सोनिया, सुनीता, सोनी, प्रकाश, पंकज, गौरव, गौरांग, रजत, सोनाली, दिनेश, मोहित, आशीष, रोहित, वेंकटेश, दिव्यांश, अंजली, मानवी, गोर्की समेत अनेक छात्र-युवा शामिल थे।