बोले वैज्ञानिक: किसानों की आय बढ़ाने में मौन पालन अहम

अल्मोड़ा, 07 फरवरी 2022— किसानों की आय को दुगना करने के उद्देश्यों के अन्तर्गत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के इनविस सचिवालय…

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अल्मोड़ा, 07 फरवरी 2022— किसानों की आय को दुगना करने के उद्देश्यों के अन्तर्गत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के इनविस सचिवालय द्वारा विभिन्न व्यवसायिक कार्यक्रमों का आयोजन हरित कौशल विकास कार्यक्रम के माध्यम से किया जा रहा है। इन व्यवसायिक कार्यक्रमों के अन्तर्गत गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के इनविस केन्द्र द्वारा ‘वन्य मौन पालन एवं प्रसंस्करण’पर 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के 8 जिलों से 30 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं।

कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के निदेशक ई. किरीट कुमार, हरीश चन्द्र तिवारी, निदेशक राजकीय मौन पालन केन्द्र, ज्योलीकोट, डाॅ. प्रमोद मल, प्रवक्ता कीट विज्ञान विभाग, पन्तनगर विश्वविद्यालय, ऊधमसिंह नगर, डाॅ. जीसीएस नेगी, कार्यक्रम समन्वयक, दीपक बिष्ट, चेयरमैन, स्पर्धा तथा मनोज उपाध्याय, सफल मधुमक्खी पालक आदि की उपस्थिति में हुआ। कार्यक्रम के दूसरे दिन दीपक बिष्ट द्वारा सभी प्रशिक्षणार्थियों को मौन पालन का इतिहास तथा मौन बाॅक्स की बनावट विषय पर प्रशिक्षण दिया गया।

इसी क्रम में संस्थान के डाॅ. रवीन्द्र जोशी, जन्तुशास्त्री द्वारा मौन प्रजातियों तथा उनके जीवन चक्र तथा वन्य कीटों से होने वाले आर्थिक लाभों एवं इनसे होने वाले व्यवसायिक लाभों के विषय में विस्तृत चर्चा की गयी। कार्यक्रम के तीसरे दिन संस्थान की वैज्ञानिका, डाॅ. शैलजा पुनेठा, द्वारा विभिन्न ऋतुओं में मौनचर एवं पुष्प प्रजातियों के विषय पर तथा कार्यक्रम के चैथे दिन डाॅ. एम0एस0 खान, प्रवक्ता कीट विज्ञान, पन्तनगर विश्वविद्यालय द्वारा मौनवंश में बकछूट एवं घरछूट विषय पर तथा संस्थान की वैज्ञानिका, डाॅ. हर्षित पन्त जुगरान द्वारा मकरन्द, पराग एकत्रण तथा इसके विभिन्न लाभों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। पाचवें दिन जेपी गुप्ता सीनियर तकनीकी आफिसर वीपीकेएसएस, अल्मोड़ा द्वारा मौनवंशों में होने वाली बिमारीयों एवं उनके नियंत्रण विषय पर तथा डाॅ. संदीप कुमार, जन्तुशास्त्री एस0एस0जीना विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखण्ड में पाये जाने वाले कीटों की विभिन्न प्रजातियों का मौन पालन में योगदान विषय पर प्रशिक्षण दिया।

कार्यक्रम के छठे दिन डाॅ. जीसी जोशी, रीटायर वैज्ञानिक केन्द्रिय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा परम्परागत औषधीय पौंधों का मौन पालन में योगदान के विषय पर प्रशिक्षण दिया तथा कार्यक्रम के सातवें दिन डाॅ. रवीन्द्र जोशी, जन्तुशास्त्री द्वारा परागण में मौनवंश का सहयोग एवं परागण प्रबन्धन विषय पर प्रशिक्षण दिया। इस कार्यक्रम में डाॅ. महेशानन्द, कमल किशोर टम्टा, विजय बिष्ट एवं श्रीमती सुमन किरौला आदि मौजूद थे।