Uttarakhand election 2022- एक प्रत्याशी श्वेता मासीवाल,जो कहती है अब जनता आएगी…..

रामनगर,28 जनवरी 2022— यूं तो सामाजिक क्षेत्रों से राजनीति में आना पुराना चलन है। यह भी सही है कि सामाजिक कार्यकर्ता वर्तमान की आया राम…

shweta mashiwal

रामनगर,28 जनवरी 2022— यूं तो सामाजिक क्षेत्रों से राजनीति में आना पुराना चलन है। यह भी सही है कि सामाजिक कार्यकर्ता वर्तमान की आया राम गया राम या तोड़—फोड़ की राजनीति में एक प्रकार से मिस फिट ही है। बावजूद कुछ ऐसे लोग भी है जो राजनीतिक गुटबंदी या कॉकस में शामिल होने की बजाय खुद जनता के पास जाने की हिम्मत रखते हैं।

ऐसी ही एक सामाजिक कार्यकर्ता है रामनगर की वत्सल सुदीप मासीवाल फाउंडेशन की सचिव श्वेता मासीवाल,। चाहे आरटीआई हो, कानूनी मदद हो या फिर आपदा, हर क्षण जरूरतमंदों तक पहुंचने वाली श्वेता ने रामनगर सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर चुकी हैं (Uttarakhand election 2022) उन्होंने रामनगर सीट से निर्दलीय नामांकन किया है।

shweta masiwal

श्वेता का कहना है कि वह अब जनता आएगी के नारे… के साथ दलगत राजनीति से किनारा करते हुए जनता तक पहुंच रही है और रामनगर से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। रामनगर के उदयपुरी चोपड़ा गांव निवासी श्वेता बीते 12 सालों से सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं।


श्वेता मासीवाल बीते 12 सालों से पूरे उत्तराखंड के अंदर सामाजिक गतिविधियों को चलाने के लिए एक चिर परिचित नाम है, कोविड काल में मुंबई में फंसे उत्तराखंड के 12 हजार प्रवासियों के लिए स्पेशल ट्रेन चलवाकर प्रवासियों को सुरक्षित उत्तराखंड पहुंचाने के सफल प्रयासों के बाद वह एकदम चर्चित हो गई थीं।

कभी दिल्ली में एफ एम चैनल में की एंकर रही और दिल्ली, मुंबई, जैसे शहरों में अपना प्रोडक्शन हाउस चला चुकी श्वेता आजकल रामनगर के गांव-देहातों में कहीं मेडिकल कैंप, तो कहीं लोगों को राजनैतिक, सामाजिक रूप से जागरूक करने की चौपाल लगाती मिलती है, बीते डेढ़ दशक से पूरे उत्तराखंड में अपने निजी खर्च पर बिना कोई चंदा लिए एक स्व वित्तपोशी संस्था वत्सल के माध्यम से श्वेता जरूरतमंद परिवारों के लिए सहायता को हमेशा तत्पर रहती हैं। श्वेता के नानाजी स्वर्गीय देवीदत्त मैनाली रानीखेत कैंट बोर्ड के लगातार 27 साल में वाइस चेयरमैन रहे भी रहे।

श्वेता को इस सामाजिक और सरोकारी जीवन के बीच अपने इकलौते सहोदर भाई स्वर्गीय सुदीप माशीवाल को सड़क दुर्घटना में खोने का गम भी झेलना पड़ा तो स्वास्थ्य सुवि​धाओं के अभाव में कैंसर पीड़िता माता को खोने के बाद उन्होंने समाज सेवा को अपनी मुहिम बना ली।