किस्से लोकतंत्र के- राजतंत्र बुरा,लोकतंत्र अच्छा

बात उस जमाने की है जब राजाओं का निरंकुश राज हुआ करता था I ये राजा लोग बहुत निर्दयी – तानाशाह हुआ करते थे ..सिर्फ…

Tales of Democracy - Monarchy Bad, Democracy Good

बात उस जमाने की है जब राजाओं का निरंकुश राज हुआ करता था I ये राजा लोग बहुत निर्दयी – तानाशाह हुआ करते थे ..सिर्फ अपनी मनमानी किया करते थे ..जनता की आवाज को सुनने वाला कोई नहीं I दो किस्से हैं उस जमाने के –

पहला किस्सा –कुमाऊँ में राजशाही के दौरान एक राजा को सूझी कि अल्मोड़ा में शानदार राजमहल बनाया जाय I जगह भी चुन ली गयी I जो जगह चुनी गयी उस जगह के बगल में किसी वृद्धा की झोपडी़ थी I राजा और उसके कारिंदों ने बहुत मनाया वृद्धा को कि वो जगह छोड़ दे ताकि राजमहल नक़्शे के मुताबिक़ बन सके I वृद्धा नहीं मानी I तो फिर निरंकुश राजा ने बड़ी निर्दयता से बुढिया की जगह बचाते हुए महल बनाया ,जो आज भी वहीं हैं एक कोना टेढ़ा है महल का I आप आज भी एक कोने से टेढ़े महल को देख सकते हैं l

दूसरा किस्सा – गढ़वाल के राजा को हरिद्वार में गंगा किनारे पूजा करनी थी , पुजारियों से कुछ विवाद हुआ तो निरंकुश राजा गंगा का तट छोड़ दूर चंडीमंदिर की पहाड़ी की तलहटी में जा कर बैठ गया पूजा करने I सुना है गंगा भी उस निरंकुश राजा को देखने अपना रास्ता छोड़ वहीँ पहुँच गयी I आज भी गंगा वहीं बहती है… हर की पौड़ी से दूर..

अब किस्से लोकतंत्र के –

पहला किस्सा – तब राज्य में बीजेपी का लोकतान्त्रिक शासन हुआ करता था I हुआ यूँ कि राज्य में शराब का ठेका छूटा और अल्मोड़ा के लमगड़ा क्षेत्र के गांववालों ने ठेकेदार को शराब की दुकान के लिए जगह नहीं दी I पीड़ित ठेकेदार ने सरकार से गुहार लगायी , तत्कालीन जिलाधिकारी ने अविलंब गरीब ठेकेदार के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने के लिए व्यवस्था दी कि जब तक दुकान का स्थान नहीं मिलता ,तब तक मोबाइल दुकान (ट्रक ) से शराब बेचीं जा सकती है I इसे कहते हैं ” रम का रम और सोडा का सोडा ” टाइप न्याय

दूसरा किस्सा – तब राज्य में कांग्रेस का लोकतान्त्रिक शासन है I अल्मोड़ा के नैनिसर स्थान पर कोई बड़े उद्योगपति जी (जिंदल ग्रुप ) निजी स्कूल चलाने के लिए जमीन चाहते थे I सरकार ने तुरंत सरकारी जमीन दे दी I लोगों ने विरोध कियाI एक दिन कुछ लोग वहाँ धरना देने पहुँच गए ..जिंदल ग्रुप के पहलवानों ने उन्हें समझाया कि भाई ऐसा मत करो ,लोकतंत्र हैं , सरकार कुछ भी कर सकती है I लोग नहीं माने ,तो मजबूरन पहलवानों को पहलवानी करनी पड़ी I नतीजा ये रहा कि लोगों को जेल भेज दिए गया ,और पहलवानों को काजू बादाम दे कर कसरत करने के लिए घर भेज दिया

तीसरा किस्सा अपने बड़के भैय्या यूपी का है.. एक मन्त्री पुत्र नई गाड़ी ले कर अपने बाप की रियासत का मुआयना करने निकले थे… कुछ बदमाश किसान खेत में हल लगाना छोड़ उस सड़क पर आ गए, जिस पर गाड़ी चलाने का रोड टैक्स मन्त्री पुत्र ने भरा था.. कुछ किसान तो इतने दुष्ट थे कि चलती गाड़ी के नीचे कूद गए l अब इन्हे यह समझना ही होगा कि सड़क पर आना बुरी बात होती है.. तो समझा दिया मन्त्री पुत्र ने l इतने प्रेम से समझाना लोकतंत्र में ही तो संभव है

ये किस्से साबित करते हैं कि राजतंत्र बहुत खराब हुआ करता था और लोकतंत्र बहुत बढ़िया I राजाओं को लोकतंत्र सिखाने के लिए ही तो उनको सांसद बनाया जाता है कि हे राजन आपने बहुत निरंकुशता की थी ,अब लोकतंत्र सीखने का दंड सहिये

मुकेश बहुगुणा की फेसबुक वॉल से साभार