रोचक मिथक :: Uttarakhand में कोश्यारी को छोड़ कोई प्रत्याशी मुख्यमंत्री रहते नहीं जीता चुनाव

उत्तरा न्यूज, 24 जनवरी 2022- मिथक भले ही एक संयोग हों या इत्तेफाक लेकिन आदमी इन्हें काल्पनिक बताने के साथ ही उस पर विश्वास भी…

Uttarakhand election

उत्तरा न्यूज, 24 जनवरी 2022- मिथक भले ही एक संयोग हों या इत्तेफाक लेकिन आदमी इन्हें काल्पनिक बताने के साथ ही उस पर विश्वास भी करता है।
राजनीति में मिथक बड़े पैमाने पर चलते हैं और लोगों के बीच चर्चाओं में रहते हैं।


गंगोत्री सीट पर विजय को सरकार बनने की गारंटी मानने वाले हों या यूपी के सीएम की नोयडा जाने को लेकर हिचकिचाहट हो यह लंबे समय से मानस पटल पर हैं, उत्तराखंड में मुख्यमंत्री आवास का उपयोग को लेकर भी इसी प्रकार का मिथक पैदा होने लगा था। हालांकि पूर्व सीएम trivendra singh rawat ने इस मिथक को तोड़ वहां रहने का फैसला किया और उनके इस्तीफे के बाद वर्तमान सीएम pushkar singh dhami वहां रहते हैं।


Bjp ने Assembly elections 2022 के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर मुख्यमंत्री pushkar singh dhami को खटीमा की विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा है। चुनावी चर्चाओं को आगे बढ़ाने से पहले उत्तराखंड का एक ऐसा मिथक है तो मिथकों पर विश्वास करने वालों को परेशान कर सकता है।
राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में चार चुनाव हो चुके हैं जिसमें 2 बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस को सरकार चलाने का मौका मिला है।


राज्य के पहले चुनाव में उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रहते हुए भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh kosyari)ने विधानसभा चुनाव जीता था। हालांकि वह निर्वाचित सीएम नहीं बल्कि अंतरिम सरकार के सीएम थे।
पार्टी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के स्थान पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था और मुख्यमंत्री रहते हुए 2002 में उन्होंने कपकोट विधानसभा सीट से चुनाव जीता था।


अब मुख्यमंत्री से जुड़े मिथक की बात करते हैं, अब तक हुए 4 विधानसभा चुनावों में एक भगत सिंह कोश्यारी को छोड़कर मुख्यमंत्री रहते हुए जिस भी राजनेता ने चुनाव लड़ा उसे हार का सामना करना पड़ा है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी(BC khanduri), पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat)भी शामिल हैं रावत ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने खंडूड़ी को दोबारा सीएम बनाया और खंडूड़ी हैं जरूरी का नारा भी दिया लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह नेगी के हाथों कोटद्वार सीट पर वह चुनाव हार गए।


2014 में विजय बहुगुणा के स्थान पर सीएम बनाए गए हरीश रावत 2017 में हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा, दोनों सीटों से चुनाव हार गए थे।
अब 2022 में पुष्कर सिंह धामी भी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव लड़ने जा रहे हैं। खटीमा से धामी 2012 व 2017 का चुनाव जीत चुके हैं। अब इस बार चुनाव जीतते हैं तो यह उनकी हैट्रिक होगी। और राजनीतिक पंडित भी बड़ी रोचकता से इस सीट पर नजर बनाए हुए हैं। हालांकि सीएम हाउस में रहने या नहीं रहने के मिथक पर ध्यान नहीं देकर वहां रहने की सीएम धामी ने एक पहल खुद की है।