यह कैसा दुर्योग: Uttarakhand ने बिपिन जोशी के बाद विपिन रावत को खोया

सीडीएस बिपिन रावत (Vipin Rawat)के निधन की दुखद घटना होने के बाद उत्तराखंड के लिए कभी नहीं मिटने वाली टीस बन गई है। इससे पहले 1994 में उत्तराखंड थलसेना अध्यक्ष बिपिन जोशी(Bipin Joshi) को खो चुका है।

CDS BIPIN RAWAT

Uttarakhand lost Vipin Rawat after Bipin Joshi

उत्तरा न्यूज डेस्क, 08 दिसंबर 2021- सीडीएस बिपिन रावत (Vipin Rawat)के निधन की दुखद घटना होने के बाद Uttarakhand के लिए कभी नहीं मिटने वाली टीस बन गई है। इससे पहले 1994 में उत्तराखंड थलसेना अध्यक्ष बिपिन जोशी(Bipin Joshi) को खो चुका है।

इत्तेफाक यह है कि दोनों अधिकारियों का एक ही नाम था आज से 28 साल पहले जनरल बिपिन जोशी का निधन हुआ तो आज जनरल विपिन रावत हवाई दुर्घटना में दुनिया छोड़ गए।


विपिन रावत (Vipin Rawat)की मौत से पहले सेना में शीर्ष पर पहुंचे अल्मोड़ा के दन्या निवासी बिपिन चंद्र जोशी(Bipin Joshi) की भी आँन ड्यूटी यानि सेवा काल के दौरान है मौत हुई।


दोनों अधिकारी उत्तराखंड(Uttarakhand) से ही ताल्लुक रखते थे और पहाड़वासियों को इनसे बहुत उम्मीद थी।


आज के दिन हवाई दुर्घटना में हताहत हुए सीडीएस जनरल विपिन रावत( general Vipin Rawat) की पत्नी मधुलिका की भी मौत हो गई है। विपिन रावत पौड़ी गढ़वाल के सैण बमसोली के निवासी थे। सेना प्रमुख बनने के बाद वह अपने पैतृक गांव भी पहुंचे थे।

Uttarakhand के साथ बना अजब दुर्योग


सशत्र सेनाओं के शिखर पर पहुंचे उत्तराखंड(Uttarakhand) के दोनों जांबाज अधिकारियों का सेवा के दौरान निधन का दुखद दुर्योग बन गया है।

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (Vipin Rawat)नहीं रहे। तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को हुए हेलिकॉप्टर हादसे में उनकी, पत्नी और 11 अन्य अफसरों के साथ मौत हो गई।


इससे पूर्व नवंबर 1994 को अल्मोड़ा के दन्या निवासी जनरल बिपिन चंद्र जोशी (Bipin Joshi)का थल सेनाध्यक्ष रहते हुए आकस्मिक निधन हुआ था।


यह भी इत्तेफाक है कि उनका नाम भी बिपिन ही था।


बिपिन जोशी(Bipin Joshi) थल सेनाध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले उत्तराखंड के पहले सैन्य अधिकारी बने।


भारतीय थल सेना के 17वें प्रमुख बने। लेकिन सेवाकाल के दौरान ही 18 नवम्बर 1994 को उनका नई दिल्ली के मिलिट्री हॉस्पिटल में आकस्मिक निधन हो गया ।

तब वो 58 वर्ष के थे। उत्तराखंड को हुई यह क्षति अपूरणीय ही है पर 28 साल बाद यही के एक और शीर्षस्थ अधिकारी का निधन हो गया।