धरने पर रोक(banned protests)—कर्मचारी नाराज

धरना प्रदर्शन पर रोक लगाए जाने (banned protests) से कर्मचारियों ने जताई है नाराजगी

Provincial Session of All India Equality Forum on 19th

government banned protests- employees expressed their displeasure

अल्मोड़ा, 08 दिसंबर 2021—सरकार द्वारा धरना प्रदर्शन कार्यक्रम पर रोक ((banned protests))लगाने की शिक्षा समन्वय समिति जनपद अल्मोड़ा द्वारा विरोध किया है।


समिति के पदाधिकारियों ने सरकार के इस फैसले को अलोकतांत्रिक बताया है। कहा कि सरकार के इस निर्णय से शिक्षकों व कार्मिकों का दमन होगा उनके कार्यो का निस्तारण नहीं हो सकेगा इससे उन अधिकारियों को बल मिलेगा जो कि जानबूझकर काम को नहीं करते हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि इस बीच 3 महीने के लिए राज्य चुनावी मोड में चला जायेगा और समस्याओं का निराकरण नहीं होगा यह चिन्ता जनक स्थिति है ।
कार्मिकों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करे और ऐसी स्थिति पैदा ही न ​की जाय कि कर्मचारियों को आंदोलन की राह में जाना पड़े। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस आदेश को वापस लेने की मांग की।

धरना प्रदर्शन पर रोक लगाए जाने (banned protests) से कर्मचारियों ने जताई है नाराजगी

शिक्षा समन्वय समिति के अध्यक्ष डाॅ मनोज जोशी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पुष्कर सिंह भैसोड़ा, उपाध्यक्ष दिगम्बर फुलोरिया, जगदीश भंडारी, भूपाल चिलवाल, हेम कबडवाल, सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक , संजय बिष्ट, संगठन मंत्री बलवीर सिंह भाकुनी, कोषाध्यक्ष अनिल कुमार कांडपाल, संयुक्त मंत्री दीपक बगड़वाल, प्रचार मंत्री पूरन सिंह अल्मियां, सांस्कृतिक मंत्री बीडी पांडेय ने सरकार से धरना प्रदर्शन कार्यक्रम पर रोक लगाने से संबंधित आदेश(banned protests) को वापस लेने की मांग की है ।

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सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि धरना प्रदर्शन कार्यक्रम पर रोक (banned protests) से लंबित मामलों के निपटारे में देरी होती है और विभागों पर दबाव नहीं बनता है इसलिए लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन की इजाजत है संवैधानिक अधिकार को रोकने ठीक नहीं है ।

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अध्यक्ष डाॅ मनोज जोशी द्वारा भी इस आदेश को अलोकतांत्रिक बताया है वरिष्ठ उपाध्यक्ष पुष्कर सिंह भैसोड़ा ने कहा कि सरकार द्वारा सभी लंबित मामलों के निपटारे के लिए आदेश निर्ग
त करने चाहिए।

कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर शासन के नो वर्क नो पे के आदेशों के बाद कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार नो वर्क नो पे के आदेशों को जल्द ही वापिस ले। बताते चले की गैरसेंण में शीतकालीन सत्र न होने के चलते और सरकार के रवैये के विरोध में 10 दिसंबर को हरीश रावत द्वारा गैरसेंण में सांकेतिक उपवास किया जाएगा। जिसमे उत्तराखण्ड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल सहित कई बड़े नेता शामिल होंगे। वहीं अब सरकारी कर्मचारियों पर लगाए गए no work no pay को लेकर भी वो कर्मचारियों के हक में सांकेतिक उपवास करेंगे।

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