ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़े आर्थिकी, सभी को उठानी होगी सामूहिक जिम्मेदारी

विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में हुई कार्यशाला में आए कई विचार अल्मोड़ा :विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित विकास व संवेदीकरण संबंधी कार्यशाला…

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विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में हुई कार्यशाला में आए कई विचार

अल्मोड़ा :विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित विकास व संवेदीकरण संबंधी कार्यशाला में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए गंभीरता से प्रयास करने की जरूरत जताई गई ।
वक्ताओं ने तकनीक के आधार पर गांवों का विकास के लिए ठोस पहल करने को कहा |
शिक्षण संस्थानो, वैज्ञानिक व शोध संस्थानों से मिलजुलकर कार्य करने की अपील की गई |
विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से गांवों का विकास विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि गांवों के विकास में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसलिए स्वैच्छिक संस्थाओं को इस कार्य के लिए खुलकर आगे आना चाहिए।
पंतनगर विवि के कुलपति डॉ. तेज प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तराखंड की 86 प्रतिशत भूमि पर्वतीय क्षेत्रों और 14 प्रतिशत भूमि मैदानी क्षेत्रों में है। जबकि आबादी मैदानी क्षेत्रों में अधिक हो गई है और पर्वतीय क्षेत्रों में काफी कम रह गई है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मानव वन्य जीव संघर्ष की बढ़ रही घटनाएं भी यहां से पलायन का कारण बन रही हैं।


इस मौके पर हेस्को के संस्थापक और पद्मश्री डा. अनिल जोशी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित संस्थानों की तकनीक को गांव तक पहुंचाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लेना काफी जरूरी है। उन्होंने विकास के स्तर को आर्थिकी उन्नयन से जोड़े जाने की वकालत की| संस्थान के निदेशक डॉ. अरूण व पटनायक ने भी ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए समन्वय बनाकर कार्य करने की बात पर जोर दिया। गोष्ठी में रवींद्र गौड़, डॉ. सुरेश काडपाल, डॉ. हर्षित पंत, लक्ष्मीकांत, डॉ. हिमांशु मोहन, प्रकाश जोशी, डॉ. रवीश, ईश्वर जोशी, बसंत पांडे, दिनेश पांडे, सुनील पांडे, किशन राणा समेत अनेक लोग मौजूद रहे।