ग्रीन रिकवरी के लिए भारत में टास्क फ़ोर्स का गठन ज़रूरी

निशांत सक्सेना एक नई रिपोर्ट बताती है कि पर्यावरण को केंद्र में रखते हुए महामारी के बाद आर्थिक रिकवरी से मिलेंगे अधिक रोज़गार, लम्बी अवधि…

Task force formation in India necessary for green recovery

निशांत सक्सेना

एक नई रिपोर्ट बताती है कि पर्यावरण को केंद्र में रखते हुए महामारी के बाद आर्थिक रिकवरी से मिलेंगे अधिक रोज़गार, लम्बी अवधि में विकास को मिलेगा बढ़ावा, और बचाये जा सकेंगे तमाम जीवन।

बच्चों के इन्वेस्टमेंट फण्ड फाउंडेशन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इकोनॉमिक रिकवरी प्रोजेक्ट, और विविड इकोनॉमिक्स की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण को विशेषतः ध्यान में रखकर अगर Covid 19 से उबरा जाय तो रोज़गार बढ़ेंगे ही साथ में लम्बी अवधि के विकास होंगे और जीवन बचाये जा सकेंगे।

भारत, पोलैंड और चीन के अलावा बड़े घरेलू कोयला उत्पादन वाले दो अन्य देशों की जांच करते हुए, ये रिपोर्ट बताती है कि कैसे हरियाली के उपाय – विशेष रूप से पुनः वनीकरण और इमारतों को अधिक ऊर्जा-कुशल बनाना से बेहतर आर्थिक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। सभी देशों के निति निर्माताओं के लिए ये रिपोर्ट आर्थिक संकट से उबरने की योजना और उस लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा प्रदान करती है

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इकोनॉमिक रिकवरी प्रोजेक्ट के लीड रिसर्चर और प्रोजेक्ट मैनेजर ब्रायन ओ’कैलाघन ने कहा: ‘कोविद -19 की ओर सरकारों के प्रयासों ने जलवायु परिवर्तन की दिशा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की क्षमता है। हमारे शोध से पता चलता है कि हरित पहल में सार्वजनिक निवेश मजबूत आर्थिक लाभ दे सकता है, और यदि सही दिशा में हो, तो सामाजिक असमानताओं को दूर किया जा सकता है और एक स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण का निर्माण किया जा सकता है। यह आर्थिक मंदी के समय में विशेष रूप से सच है जहां रोजगार सृजन और आर्थिक पुनर्जागरण का विशेष महत्व है।’

चिल्ड्रेन इन्वेस्टमेंट फण्ड फाउंडेशन में प्रोजेक्ट लीड कोरिना कैंपियन ने कहा: ‘एक कम कार्बन दुनिया आज के बच्चों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगी। इसका प्रमाण इस रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े हैं, जो जलवायु, स्वास्थ्य और नौकरियों पर ग्रीन रिकवरी निवेश के प्रभाव को दर्शाते हैं। ये दो अलग छेत्रो के एक दुसरे पर प्रभाव को नज़रअंदाज़ करना असंभव है।’

अपने आर्थिक लाभों के अलावा पर्यावरण के अनुकूल महामारी से उबरने में हवा की गुणवत्ता में सुधार से लोगों की जान भी बचेगी। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि अगर भारत हरित प्रोत्साहन उपायों के लिए उतना ही धन आवंटित करे जितना कि वो कोयला से बिजली उत्पादन ($7.7 बिलियन) में करता है , तो 34,000 कम मृत्यु और बच्चों में 56,000 कम जन्म जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

महामारी के बाद के रोजगार के बाजारों को मजबूत करने के लिए अपने इकोसिस्टम की बहाली को प्राथमिकता देना तीनों देशों के लिए महत्वपूर्ण होगा । सभी प्रकार के हस्तक्षेप अध्यन के अनुसार, शोध दल द्वारा सूक्ष्मा रूप में पाया गया कि पनबिजली सबसे अधिक रोजगार देने वाला है, 1 मिलियन डॉलर के निवेश पर साल भर में 191 दिन का अल्प कालीन रोज़गार उपलब्ध होगा । उनके अध्यन में ये पाया गया की दीर्घकालिक पुनः वनीकरण में हर एक मिलियन डॉलर का निवेश हमें 3.2 मेगाटन के कार्बन डाइऑक्साइड से बचाएगा।

नए और पुराने भवनों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने से आर्थिक उत्पादन मजबूत होगा और कॉर्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी काम होगा, इस रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में इसका आकार और गतिविधियों का दायरा बढ़ाने के लिए के लिए तीनों देशों के पास एक बड़ा अवसर है । भारत के लिए इस रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार हैं:

• इलेक्ट्रिक वाहन , खाना पकाने के साफ माध्यम, अक्षय ऊर्जा के तरीकों में , प्राकृतिक पूंजी और टिकाऊ कृषि में निवेश को प्राथमिकता दें

• सरकारी हरित बांड, हरित वित्तीय प्रोत्साहनों और सरकार के सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण में दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहित करें।

पर्यावरण के अनुकूलन उबरने पर एक समर्पित कार्यबल की सरंचना करें ।

विविड इकोनॉमिक्स के सहयोग से स्मिथ स्कूल, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में इकोनॉमिक रिकवरी प्रोजेक्ट द्वारा ग्रीन रिकवरी का रोडमैप प्रकाशित किया गया था। चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड फाउंडेशन ने क्लाइमेटवर्क्स फाउंडेशन के अतिरिक्त समर्थन से शोध को वित्त पोषित किया।

विविड इकोनॉमिक्स के सहयोग से स्मिथ स्कूल, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में इकोनॉमिक रिकवरी प्रोजेक्ट द्वारा ग्रीन रिकवरी का रोडमैप प्रकाशित किया गया था। चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड फाउंडेशन ने क्लाइमेटवर्क्स फाउंडेशन के अतिरिक्त समर्थन से शोध को वित्त पोषित किया। कोई ज्ञात प्रकटीकरण एवं हितों का टकराव नहीं है और संस्थानों के सभी नैतिक मानकों का पालन किया गया था। यह ब्रायन ओ’कैलाघन, निक किंग्समिल, फ्लोरेंस वाइट्स, डैन आयलवर्ड-मिल्स, एम मर्डॉक, जूलिया बर्ड, जेफरी बेयर, पॉल रो, मालवीना बॉन्डी और जोनाथन एरॉन द्वारा लिखा गया था।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को लगातार पांचवें वर्ष टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में नंबर 1 पर रखा गया है, और इस सफलता के केंद्र में हमारा अभूतपूर्व शोध और नवाचार है।ऑक्सफोर्ड अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए विश्व प्रसिद्ध है और दुनिया भर के कुछ सबसे प्रतिभाशाली लोगों का घर है।हमारा काम साझेदारी और सहयोग के विशाल नेटवर्क के माध्यम से वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करते हुए लाखों लोगों के जीवन में मदद करता है।

हमारे शोध की व्यापकता और अंतःविषय प्रकृति कल्पनाशीलता और अविष्कार की दृष्टि और समाधानों को जन्म देती है। अपनी शोध व्यावसायीकरण शाखा, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इनोवेशन के माध्यम से, ऑक्सफोर्ड यूके में उच्चतम विश्वविद्यालय पेटेंट फाइलर है और यूनिवर्सिटी ने ऐसे छात्र निकाले है जो यूके में पहले स्थान पर है, जिसने 1988 से 170 से अधिक नई कंपनियां बनाई हैं।इनमें से एक तिहाई से अधिक कंपनियां पिछले तीन वर्षों में बनाई गई