आगरा: शहीद कौशल किशोर रावत का परिवार गुरुवार को कहरई गांव में शहीद प्रतिमा स्थल के पास बेमियादी धरने पर बैठ गया है। शहीद की पत्नी ने शासन और प्रशासन पर शहादत की अमानत में खयानत के आरोप लगाए हैं। शहीद की पत्नी ममता का कहना है कि परिवार की आर्थिक सहायता के लिए शिक्षा विभाग, पुलिस और विकास कर्मियों ने एक-एक दिन वेतन दिया था। वह पैसा परिवार को मिलने की जगह मुख्यमंत्री राहत कोष में भेज दिया गया। दो साल से परिवार अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक चक्कर काट रहा है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फरवरी 2019 में आतंकी हमला हुआ था। जिसमें आगरा के सीआरपीएफ कौशल किशोर रावत समेत प्रदेश के 12 और कुल 40 जवान शहीद हुए थे।
शहीद कौशल रावत के परिजनों का कहना है कि सरकार ने शहादत के समय जो वादे किए थे, वह दो साल बाद भी पूरे नहीं किए। शिक्षकों ने एक-एक दिन वेतन के रूप में 67.50 लाख रुपये एकत्र किया। जिसे शहीद परिवार की जगह प्रशासन ने मुख्यमंत्री राहत कोष में भेज दिया।
शहीद की पत्नी ममता ने कहा कि विकास भवन से करीब साढ़े तीन लाख रुपये एकत्र हुए। उन पैसों को छह महीने तक जिला विकास अधिकारी निजी उपयोग में इस्तेमाल करता रहा। शिकायत पर शासन ने पिछले साल निलंबित कर दिया। लेकिन आज तक वह पैसा मुझे नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग से भी पैसा एकत्र हुआ था, वो सहायता राशि भी नहीं दी गई।
शहीद की पुत्री अपूर्वा ने कहा कि गांव में शहीद की प्रतिमा का अनावरण नहीं किया। शहीद के नाम पर द्वार नहीं बनाया गया। शहीद की पत्नी ने मांग पूरी नहीं होने तक धरना जारी रखने का एलान किया है।
गुरुवार की सुबह तहसीलदार व पुलिस अधिकारी पीड़ित परिवार को समझाने पहुंचे, लेकिन उन्होंने धरना खत्म नहीं किया है। वीर नारी ने कहा कि अगर प्रशासन ने मांगें नहीं मानीं, तो वह आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर होंगी। उन्होंने कहा कि दो साल से डीएम से लेकर सीएम कार्यालय तक चक्कर काटते-काटते थक गई, लेकिन जो हमारा हक है वो हमें नहीं मिल रहा।