कॉकटेल करता है कोविड रोगियों में मृत्यु दर को कम

नई दिल्ली। विशेषज्ञ ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ‘गेम चेंजर’ मान रहे हैं। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल दो दवाओं का मिश्रण…

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नई दिल्ली। विशेषज्ञ ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ‘गेम चेंजर’ मान रहे हैं। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल दो दवाओं का मिश्रण है। इसे दो दवाओं कासिरिविमाब और इम्देवीमाब के 600-600 एमजी का डोज मिलाकर तैयार किया जाता है। कासिरिविमाब और इम्देवीमाब को अमेरिकी जैव प्रौद्योगिकी की दिग्गज कंपनी रेजेनरॉन ने स्विस फार्मा कंपनी रोशे के सहयोग से विकसित किया है। ये दवा शरीर में कोरोना वायरस को फैलने से रोकती है।

एक परीक्षण में पाया गया है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल कोविड-19 के गंभीर मामलों में मृत्यु के जोखिम को कम करता है। भारत में दवा कंपनी सिप्ला द्वारा इसकी मार्केटिंग की जा रही है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा नियामक अनुमोदन प्रदान किया गया है।

बिना अस्पताल में भर्ती कोविड रोगियों के बीच किए गए पिछले अध्ययनों से पता चला है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार वायरल संक्रमण को कम करता है, लक्षणों के तेजी से समाधान की सुविधा देता है और इसके परिणामस्वरूप अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम में उल्लेखनीय कमी आती है। 

एक रेंडमली मूल्यांकन परीक्षण से पता चलता है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी कोविड-19 के गंभीर मामलों में मृत्यु के जोखिम को कम करती है, जब रोगी का शरीर अपने आप एक प्राकृतिक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को शुरू करने में विफल रहता है। यह परीक्षण 18 सितंबर 2020 से 22 मई 2021 के बीच कोविड-19 से संक्रमित अस्पताल में भर्ती कुल 9,785 मरीजों पर किया गया है। 

रोगियों में से एक तिहाई सेरोनगेटिव थे, जिसका अर्थ है कि परीक्षण में प्रवेश करने के समय उनके शरीर ने प्राकृतिक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया नहीं की थी। दूसरी ओर, आधे सेरोपॉजिटिव थे, जिसका अर्थ है कि उनके शरीर में पहले से ही प्राकृतिक एंटीबॉडी विकसित हो चुके थे। इस बीच, परीक्षण के समय कम से कम छह में से एक रोगियों में एंटीबॉडी की स्थिति ज्ञात नहीं थी।