सिक्योर हिमालया परियोजना के तहत क्षमता विकास व साहसिक पर्यटन को लेकर किया जागरूक

सिक्योर हिमालया परियोजना के तहत दारमा घाटी के ग्रामीणों को जैव विविधता और रोजगार सृजन के लिए क्षमता विकास पर किया जा रहा प्रशिक्षण पिथौरागढ।…

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सिक्योर हिमालया परियोजना के तहत दारमा घाटी के ग्रामीणों को जैव विविधता और रोजगार सृजन के लिए क्षमता विकास पर किया जा रहा प्रशिक्षण

पिथौरागढ। धारचूला के उच्च हिमालयी क्षेत्र दारमा घाटी के गांवों में सिक्योर हिमालया परियोजना के अन्तर्गत पिछले 15 दिनों से प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशालाओं में क्षमता विकास और साहसिक पर्यटन आदि को क्षेत्र के विकास तथा रोजगार सृजन का महत्वपूर्ण स्रोत बताया गया।

सुधि और क्रियुस संस्था की ओर से उच्च हिमालयी क्षेत्र में ग्रामीण के बीच की जा रही पहल

पिथौरागढ। परियोजना के तहत स्वैच्छिक संस्था सुधि तथा क्रियुस की ओर से दारमा घाटी के तिदांग, दुग्तू, मारछा, सीपू, दांतू और बोन में आयोजित कार्यशाला में क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कालिका में आयोजित कार्यशाला में सीमांत क्षेत्र के लिए साहसिक पर्यटन को कारगर बताया किया। सुधि संस्था के सचिव व प्रशिक्षण किशोर पंत ने कहा कि साहसिक पर्यटन की क्षेत्र में पर्याप्त संभावना है, और पर्यटन की यह विधा रोजगार पैदा करने का महत्वपूर्ण स्रोत भी है। मुख्य संदर्भ व्यक्ति चंचल सिंह ने कहा कि दारमा, व्यास और चैदांस घाटियां एक हिमालयी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के कारण देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं तो दूसरी तरफ माउंटेनियरिंग तथा अन्य साहसिक पर्यटन गतिविधियों के लिए भी हिमालयी क्षेत्र में अनुकूल हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में आगे बढ़कर क्षेत्र के लोग पर्याप्त रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र में होम स्टे योजना का लाभ उठाकर पर्यटन व्यवसाय को आगे बढ़ाया जा सकता है।

इससे पूर्व  सुधि संस्था द्वारा आयोजित कार्यशाला में विज्ञान शिक्षक दिनेश भट्ट ने कहा कि विज्ञान, विकास के दरवाजे खोलता है। क्षेत्र के लोग वैज्ञानिक तौर-तरीके अपनाकर कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बीच अपनी दिनचर्या को आसान बना सकते हैं तो दूसरी तरफ स्थानीय संसाधनों पर आधारित रोजगारपरक कार्यक्रमों का संचालन कर सकते हैं। भट्ट ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र बहुतायत में जैव विविधता को सहेजे हुए हैं, लेकिन संसाधनों के अवैज्ञानिक दोहन के कारण आज हिमालय की जैव विविधता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के लिए सरकार के साथ-साथ स्थानीय जन समुदाय को भी आगे आना होगा, तभी इस समस्या से बचा जा सकेगा। इसके अलावा सिक्योर हिमालया परियोजना के तहत क्रियुस संस्था द्वारा वन विभाग के सहयोग से क्षमता विकास कार्यशालाओं का आयोजन जारी है। इसमें पर्याप्त संख्या में क्षेत्र के ग्रामीण भागीदारी कर रहे हैं। संस्था, दारमा घाटी की 6 ग्राम पंचायतों के लिए जड़ी-बूटी व पर्यटन विकास पर प्रशिक्षण दे रही है। साथ ही इंट्री प्वाइंट एक्टिविटी के रूप में ग्रामीण स्वच्छता, रास्तों की सफाई आदि कार्य संचालित कर रही है। संस्था के कार्यक्रम संयोजक चंद्रशेखर मुरारी ने बताया कि सभी चयनित ग्राम पंचायतों का विस्तृत सर्वेक्षण भी किया जा रहा है। जिसके आधार पर आने वाले समय में नई विकास योजनाओं की रूपरेखा तय की जाएगी। गौरतलब है कि सिक्योर हिमालया परियोजना का मुख्य उद्देश्य उच्च हिमालयी क्षेत्र में आजीविका सुधार कार्यक्रमों का संचालन, हिम तेंदुवा के पर्यावास को संरक्षित करने के साथ ही जैव विविधता का संरक्षण करना है।