हिमालयी शोध विषयों के मंथन का केंद्र बना सिक्किम

हिमालयी चुनौतियों पर संचालित शोधों को और गंभीर बनाने पर जोर डेस्क— राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन का द्वितीय हिमालयी शोधार्थी संगोष्ठी सिक्किम में आयोजित की…

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हिमालयी चुनौतियों पर संचालित शोधों को और गंभीर बनाने पर जोर

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डेस्क— राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन का द्वितीय हिमालयी शोधार्थी संगोष्ठी सिक्किम में आयोजित की गई। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान कोसी अल्मोड़ा द्वारा राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत इस द्वितीय हिमालयी शोध संघ का आयोजन किया गया। चिंतन भवन गंगटोक में संपन्न इस दो दिवसीय संघ में विभिन्न संचालित शोधों पर संघन मंथन किया गया।

कार्यक्रम का आगाज करते हुए मिशन के नोडल अधिकारी इं0किरीट कुमार ने इस संघ के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिमालयी विषयों को संबोधित करते हुए किस प्रकार वैज्ञानिक, शोधार्थी इनपर मंथन करेंगे। उन्होंने बताया कि इस संघ द्वारा इस बार चार प्रमुख विषयों प्राकृतिक संसाधनों के भौतिक प्रबंधन, जैविक प्रबंधन, आजीविका संवर्धन तथा रोजगार सृजन तथा कौशल विकास तथा क्षमता संवर्धन पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार मिशन की ओर से विश्वविद्यालयों व संस्थानों के माध्यम से हिमालयन फैलोशिप, हिमालय जूनियर फैलोशिप, प्रोजेक्ट फैलो और हिमालय रिसर्च एसोसिएट हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है और विभिन्न क्षेत्रों में शोधार्थी इसके सहयोग से हिमालयी विषयों पर सघन शोध कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी के द्वारा हिमालयी राज्यों के बीच शोध और अनुसंधान तथा चिंताग्रस्त क्षेत्रों की चुनौतियों का भी आदान प्रदान होता है।

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इस अवसर पर अतिथि व्याख्यान में सिक्किम सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सचिव रहे डॉ सी पी धकाल तथा एनआईआरडी के निदेशक डॉ आर एम पंत ने हिमालयी राज्यों की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और कि आज नागरिक समाज इन समस्याओं के समाधान के उपायों हेतु वैज्ञानिक समाज की ओर देख रहा है, और ऐसे में युवा वैज्ञानिकों की भूमिका और भी बढ़ जाती है।
सिक्किम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 निराउला क्षेत्री ने उद्घाटन संबोधन में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि आज किस प्रकार हम सभी राज्य राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े हैं और हिमालयी राज्यों की सामाजिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक चुनौतियों पर मिलकर शोध और अनुसंधान का काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर दो प्रकाशनों ऑर्किड पर आधारित एक पुस्तक तथा एक शोध संग्रह का विमोचन किया गया। जो राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की ओर से प्रकाशित हिमालयी शोध सार संग्रह भाग-2 तथा राष्ट्रीय आर्किड अनुसंधान केंद्र द्वारा प्रकाशित सिक्किम हिमालय में आर्किड विविधता पर एक फ्लायर थे। इस अवसर पर उत्कृष्ट पेपर प्रस्तुति तथा पोस्टर पर शोधार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया।

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फोटो— पुस्तक विमोचन करते वैज्ञानिक

इस संगोष्ठी में विभिन्न उत्तरपूर्व के राज्यों सहित उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश, गुवाहाटी, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, आदि राज्यों से विषय विशेषज्ञों के बीच 45 छात्रों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस अवसर पर विषय विशेषज्ञों आईआईटी गुवाहाटी के प्रो0 सुभाषीस दत्ता, डॉ0 एस के नंदी, डॉ सरला खालिंग, प्रो0 ज्योति तमंग सहित अनेक विषय विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान दिए तथा तकनीकी सत्रों में शोध पत्रों पर अपनी राय प्रस्तुत की। कार्यक्रम में संस्थान के सिक्किम केंद्र के वैज्ञानिक डॉ मिथिलेश सिंह, अल्मोड़ा से परियोजना वैज्ञानिक डॉ ललित गिरी एवं रवींद्र वर्मा ,जगदीश पाण्डे, दीपा वर्मा, आदि ने सहयोग किया। डॉ कैलाश गैड़ा, डॉ देवेंद्र कुमार, डॉ संदीप रावत, डॉ भोज के आचार्य सहित अनेक लोगों ने कार्यक्रम में सहयोग किया । 26-27 नवम्बर को सिक्किम रिजनल सेंटर के सहयोग से सम्पन्न हुआ।