हिमाचल में कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के अयोग्य ठहरने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। एससी ने विधायक को याचिका पर नोटिस जारी…

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सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के अयोग्य ठहरने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। एससी ने विधायक को याचिका पर नोटिस जारी किया है और इसके मामले में अब सुनवाई अप्रैल में होगी। अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले हिमाचल कांग्रेस के 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में उनकी सुनवाई हो रही है। इन विधायकों ने विधानसभा स्पीकर द्वारा आयोग्य ठहराने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अयोग्यता बरकरार रखने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के आयोग्य के ठहराने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की याचिका पर नोटिस भी जारी की। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पीकर कार्यालय और विधानसभा सचिवालय को नोटिस दिया गया। मामले में सुप्रीम कोर्ट में चार हफ्तों में जवाब मांगा गया है।

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की है। 6 बागी विधायकों में राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर, इंद्र दत्त लखनपाल और देवेंद्र कुमार शामिल हैं। बागी विधायकों की ओर से वकील हरीश साल्वे कोर्ट में मौजूद रहे थे।

जस्टिस संजीब खन्ना ने कहा कि “हम स्पीकर के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। यह संभव नहीं हैं लेकिन हम याचिका पर नोटिस जारी कर सकते हैं और जहां तक फ्रेश इलेक्शन का सवाल है तो हम देखेंगे कि उसके लिए क्या करना है लेकिन हम आपको वोट देने और विधानसभा का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देंगे। इस पर वकील साल्वे ने कहा, “लेकिन क्या हमें यह नहीं बताया जाना चाहिए कि चुनाव हो गए हैं और कोई और आ गया है। इस पर जस्टिस संजीव ने कहा, “इसकी हम जांच करेंगे। बता दें कि अब इस मामले में अगली सुनवाई अप्रैल के आखिर में की जाएगी।

बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर 27 फरवरी को चुनाव हुआ था। कांग्रेस के 6 बागी विधायक को ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में वह डाल दिए थे। क्रॉस वोटिंग के बाद विधायक चंडीगढ़ स्थित होटल में चले गए थे और बाद में बजट पेश होने के बाद उसके पास होने तक पार्टी की गतिविधियों में या सभी सदन में उपस्थित नहीं थे और साथ भी नहीं थे।

जिस पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बतौर ट्रिब्यूनल चेयरमैन सुनवाई करते हुए दल बदल कानून का दोषी ठहराते हुए, सभी छह विधायकों को अयोग्य घोषित करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। यह विधायक कटौती प्रस्ताव के साथ बजट पारण के दौरान व्हिप जारी होने के बावजूद सदन में उपस्थित नहीं हुए रहे थे।

इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री और कांग्रेस विधायक दल चीफ व्हिप हर्षवर्धन चौहान ने स्पीकर को शिकायत पत्र दिया था। इन सभी विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के बाद, बागियों की तरफ से इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। मामले में सुनवाई सोमवार को हुई है।