कारखाने में काम कर रहे थे 57 बच्चे, फिर पहुंची पुलिस, अंदर से आ रही थी मांस की बदबू,जाने फिर क्या हुआ आगे

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम पुलिस आयुक्त अपराध श्रम विभाग और उप जिला अधिकारी के अलावा सहायक…

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पुलिस अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम पुलिस आयुक्त अपराध श्रम विभाग और उप जिला अधिकारी के अलावा सहायक पुलिस आयुक्त मसूरी ने संयुक्त रूप से इस कार्यवाही में भूमिका निभाई।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में अमानवीय तरीके से एक बूचड़खाने खाने में 57 बच्चों को रखा गया था जिसे पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मुक्त कराया। यहां बच्चों से काम करवाया जाता था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की शिकायत मिलने पर पुलिस ने यह अभियान चलाया। यह पूरा मामला गाजियाबाद के मसूरी इलाके का है पुलिस ने डासना स्थित इंटरनेशनल एग्रो फूड्स बूचड़खाना में छापेमारी की, जहां से 57 बच्चों को रेस्क्यू किया गया।

यह स्लॉटर हाउस है, जिसमें बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल राज्य से करीब कई दर्जन बच्चों को अमानवीय परिस्थिति में कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता था। यह कार्रवाई राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत मिलने के बाद पुलिस द्वारा की गई। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरा ऑपरेशन गुप्त रखा गया।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम, अपर पुलिस आयुक्त अपराध, श्रम विभाग और उप जिला अधिकारी के अलावा सहायक पुलिस आयुक्त मसूरी ने संयुक्त रूप से इस करवाई में भूमिका निभाई। इस बूचड़खाने में पशुओं के मांस को पैक करके निर्यात का काम किया जाता है लेकिन इसमें 57 बच्चों को अवैध रूप से अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया था। इसमें 31 लड़की और 26 लड़के थे जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश बिहार और बंगाल राज्य के थे।

सभी बच्चों का मेडिकल परीक्षण करवाया जा रहा है और इन्हें बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। मामले में बूचड़खाने के संचालक और अन्य लोगों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। पुलिस इन बच्चों के परिवारों को भी संपर्क करने का प्रयास कर रही है।