स्याहीदेवी-शीतलाखेत मॉडल का अध्ययन को अलखनंदा वन प्रभाग के 47 सदस्यीय‌ दल पहुँचा शीतलाखेत

अल्मोड़ा:: उत्तराखंड सरकार द्वारा वनाग्नि प्रबंधन के लिए आदर्श माने जा रहे शीतलाखेत मॉडल के अध्ययन के लिए चमोली जिला के अलकनंदा वन प्रभाग से…

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अल्मोड़ा:: उत्तराखंड सरकार द्वारा वनाग्नि प्रबंधन के लिए आदर्श माने जा रहे शीतलाखेत मॉडल के अध्ययन के लिए चमोली जिला के अलकनंदा वन प्रभाग से 47 सदस्यीय दल ने शीतलाखेत पहुंच कर स्याहीदेवी-शीतलाखेत आरक्षित वन क्षेत्र काभ्रमण किया. दल का नेतृत्व वन दरोगा अनुराग वैरागी ने किया.
सुबह के समय दल को पिछले 12 सालों से वन विभाग और जनता के परस्पर सहयोग और तालमेल से वनाग्नि से सुरक्षित रखे गए वन क्षेत्र का भ्रमण कराया गया।
यहां दल को बताया गया कि किसी वन क्षेत्र में वनाग्नि की रोकथाम करने से वन क्षेत्र में बायोमास में बहुत वृद्धि होती है जिससे जल स्रोतों, जैव विविधता को बहुत फायदा होता है.जंगल की आग बायोमास ,जैव विविधता और जल स्रोतों के लिए बहुत घातक सिद्ध होती है।भ्रमण दल को वनाग्नि प्रबंधन में ओण दिवस और फायर पट्टी के महत्व की जानकारी दी गई।
दोपहर बाद भ्रमण दल को स्याहीदेवी गांव का भ्रमण कराया गया। महिला मंगल दल अध्यक्ष रोशनी फिरमाल, वन सरपंच कैलाश नाथ, पुष्पा पाठक, कविता परिहार , कविता फिरमाल, कमला फिरमाल के नेतृत्व में ग्रामीणों ने दल का भव्य स्वागत किया।
यहां आयोजित कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह बोरा, उप वन क्षेत्राधिकारी हेम चंद्र,हर्ष काफर, महेंद्र नेगी, राजेन्द्र बोनाल, राम सिंह, गणेश पाठक, ललित बिष्ट, प्रकाश चंद्र, शिब्बन नाथ, नरेंद्र सिंह, गजेंद्र पाठक, देवेन्द्र प्रसाद, कविता मेहता, रवि अधिकारी, प्रकाश टम्टा, गौरव कुमार, श्याम कुमार आदि उपस्थित थे.
अलकनंदा वन प्रभाग के इस भ्रमण कार्यक्रम के साथ ही गढ़वाल मंडल से शीतलाखेत मॉडल के अध्ययन के लिए आने वाले 10 दलों द्वारा स्याहीदेवी-शीतलाखेत के आरक्षित वन क्षेत्र के भ्रमण कार्यक्रम की कार्रवाई पूरी कर ली गई है।
15 जनवरी से कुमाऊं मंडल के 15 वन प्रभागों से वन सरपंचों ,महिला मंगल दल के सदस्यों ,वन कर्मियों का भ्रमण कार्यक्रम आरम्भ होगा जो 31 जनवरी तक चलेगा।

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