भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर अंतरिक्ष में 286 दिन बिताने के बाद अब पृथ्वी पर लौटने के करीब हैं। उनका अंतरिक्ष यान अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक अलग हो चुका है और भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह 3:30 बजे उनके समुद्र में उतरने की संभावना है। यह मिशन लंबे समय तक चली चुनौतियों और कठिनाइयों का गवाह रहा, जहां दोनों अंतरिक्ष यात्री वैज्ञानिक अनुसंधानों और प्रयोगों में व्यस्त थे।
नासा के डॉक्टर लगातार उनके स्वास्थ्य और आहार पर नजर बनाए हुए थे। सुनीता और विल्मोर की खान-पान की आदतें भी चर्चा में रहीं, क्योंकि उनके आहार में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन शामिल थे। उनके मेनू में पाउडर दूध के साथ अनाज, पिज्जा, झींगा कॉकटेल, भुना चिकन और टूना मछली जैसी चीजें थीं। अंतरिक्ष में कोई भी भोजन पकाया नहीं जाता, बल्कि पृथ्वी पर पहले से तैयार करके भेजे गए पैक्ड फूड को वहां केवल गर्म किया जाता है।
नासा के अनुसार, हर अंतरिक्ष यात्री को प्रतिदिन 1.72 किलोग्राम भोजन उपलब्ध कराया जाता है, जो अधिकतर जमा हुआ, सूखा हुआ या पैक किया हुआ होता है। इन खाद्य पदार्थों को अंतरिक्ष स्टेशन पर विशेष उपकरणों की मदद से गर्म किया जाता है। इसके अलावा, किसी भी आपात स्थिति के लिए खाद्य भंडारण की विशेष व्यवस्था भी की जाती है, ताकि जरूरत पड़ने पर भोजन की कमी न हो।
अब जब सुनीता विलियम्स और उनके साथी की घर वापसी का समय नजदीक आ चुका है, तो पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रही है। यह मिशन अंतरिक्ष यात्रियों की सहनशक्ति और वैज्ञानिक अन्वेषण में उनकी भूमिका को दर्शाता है, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।