20 साल का उत्तराखंड (20-year-old Uttarakhand)- अल्मोड़ा का दस्तूर, वाहन नदी में चलने को मजबूर

20-year-old Uttarakhand – Almora’s Dastur, vehicle forced to walk in river

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20-year-old Uttarakhand – Almora’s Dastur, vehicle forced to walk in river

अल्मोड़ा, 08 नवंबर 2020- उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 20 वर्ष पूरे हो गए हैं (20-year-old Uttarakhand) लेकिन आज तक इस राज्य को दिशा देने वाले ही अदिश राशि की तरह भटक रहे हैं| यह अनदेखी नहीं तो और क्या हो सकती है जब यहां वाहन सड़कों पर नहीं नदी में दौड़ते हैं और पुल बनने की प्रक्रिया करीब 15 सालों से लटकी है|

लोक निर्माण विभाग की लापरवाही का उदाहरण ताकुला बसोली टू नाई- ढौल (सोमेश्वर) सड़क है| विभाग ने यहां सड़क का निर्माण किया डामर भी कर दिया लेकिन सड़क को जोड़ने के लिए नदी पर बनने वाले पुल का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है|
हालत यह है कि इस सड़क से गुजरने वाले वाहनों को नदीं से गुजर कर इसे पार करना होता है| आये दिन यहां वाहन फंस जाते हैं जबकि बरसात के मौसम में यहां से गुजरना काफी जोखिम भरा हो जाता है|


यहां से गुजरने वाले राहगीर भी नदी से होकर दूसरे छोर पहुंचते हैं इसमें कई स्कूल पढ़ने वाले बच्चे भी होते हैं तो बाजार के लिए निकले महिलाएं व बुजर्ग भी |(20-year-old Uttarakhand)

15 साल पहले दर्जन भर गांवों को जोड़ने के लिए सरकार ने यहां सड़क तो बना दी लेकिन नदी में पुल बनाना विभाग भूल गया| आज भी ताकुला से सोमेश्वर के लिए बसौली मार्ग से जाने पर तेज बहाव की नदी को ही पार करना है| स्थानीय लोगों का कहना है कि बरसातों में तो स्कूली बच्चे स्कूल तक नही जा पाते है| 20-year-old Uttarakhand

अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर विधानसभा में बसौली सोमेश्वर सड़क पीएमजीएसवाई ने बनाई है| इस विधानसभा से 2007 में अजय टम्टा राज्य में कैबिनेट मंत्री रहे| टम्टा 2012 में भी विधायक बने, 2014 में वह संसद पहुंच गए और विधायक बनने का मौका रेखा आर्या को मिला| रेखा आर्या वर्तमान सरकार में राज्य मंत्री है फिर भी पुल की योजना सिर्फ कागजों में ही दौड़ रही है। उफनाती नदी को वाहनों ने पार करना है कई बार वाहन नदी में ही गिर जाते है| हालांकि अब एक बार फिर नदी पर पुल बनाने की प्रक्रिया सुनाई दे रही है लेकिन जब तक पुल बन नहीं जाता तब तक ग्रामीणों को संशय ही है|20-year-old Uttarakhand

जिला पंचायत सदस्य योगेश बाराकोटी का कहना है कि वह विभागीय स्तर पर कई बार अनुरोध कर चुके हैं इस बार राज्यमंत्री रेखा आर्या ने सकारात्मक आश्वासन दिया है|

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स्थानीय निवासी पूरन सिंह ने बताया कि इस नदी पर पुल नहीं होने से मजबूरन वाहनो कोो पानी में उतारना पड़ता है उस स्थिति में काफी भय लगता है| लोगों का कहना है कि कई 20-year-old Uttarakhand पुल के टेंडर हुए लेकिन हर बार किसी ना किसी कारण से निरस्त हुए अब इसकी लागत और मूल प्रस्ताव काँस्ट में 5 लाख के करीब का अंतर आ चुका है इसलिए ठेकेदार कीमत बढ़ा कर टेंडर डाल देते हैं|


इधर पीएमजीएसवाई के ईई किशन आर्या ने बताया कि अब जल्दी ही पुल का निर्माण शुरु होने की उम्मीद है| बताया कि आधा दर्जन बार पुल के लिए कोई ठेकेदार नही मिला फिर मिला तो बजट की कमी की दिक्कत भी सामने आई है|

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