मार्च की शुरुआत के साथ ही भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी ने दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, इस बार गर्मी ने असामान्य रूप से जल्दी असर दिखाया है, जिससे पूर्वी और पश्चिमी भारत के कई इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है। आमतौर पर इतनी तीव्र गर्मी अप्रैल में देखने को मिलती थी, लेकिन इस बार यह मार्च में ही महसूस की जा रही है।
देश के विभिन्न हिस्सों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे गर्मी का प्रकोप तेज होता जा रहा है। ओडिशा के झारसुगुड़ा में शुक्रवार को 41.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि शनिवार को बौध जिले में तापमान 42.5 डिग्री तक पहुंच गया। यह दर्शाता है कि इस साल गर्मी ने समय से पहले ही अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, कच्छ, तेलंगाना और रायलसीमा जैसे इलाकों में भी तापमान में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
IMD अधिकारियों के अनुसार, अभी भीषण गर्मी का असली दौर शुरू होने में कुछ समय है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ऐसे मौसमीय पैटर्न मार्च में भी देखने को मिले हैं, जो आमतौर पर अप्रैल और मई में होते हैं। बीते साल ओडिशा में पहली भीषण गर्मी 5 अप्रैल को दर्ज की गई थी, लेकिन इस बार यह मार्च में ही महसूस की जा रही है, जिससे जलवायु परिवर्तन के संकेत भी मिल रहे हैं।
दिल्ली-एनसीआर में भी तापमान तेजी से बढ़ रहा है। शुक्रवार को सफदरजंग इलाके में अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 7.1 डिग्री अधिक था। हालांकि, होली के दिन हुई बारिश ने थोड़ी राहत दी, जिसके बाद शनिवार को तापमान 33 डिग्री रहा, लेकिन यह भी सामान्य से 4.1 डिग्री अधिक था। आने वाले दिनों में तापमान में और बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे भीषण गर्मी का दौर शुरू हो सकता है।
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मध्य भारत के ऊपर बने उच्च दबाव वाले क्षेत्र के कारण इस बार गर्मी जल्दी शुरू हुई है। ओडिशा में 18 मार्च तक भीषण लू चलने की संभावना जताई गई है, जबकि सौराष्ट्र और कच्छ में 17 मार्च तक गर्मी का प्रकोप बना रहेगा। झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, विदर्भ और उत्तरी तेलंगाना में भी 16 मार्च को लू के हालात रह सकते हैं, जबकि उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में 18 और 19 मार्च को भीषण गर्मी पड़ने की आशंका है।
देश के अन्य हिस्सों में भी तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है। विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर तापमान 38 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और गंगीय पश्चिम बंगाल में भी तापमान सामान्य से 5 डिग्री अधिक दर्ज किया गया है।
पिछले महीने दिल्ली में फरवरी की सबसे गर्म रात दर्ज की गई थी, जब न्यूनतम तापमान 19.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। यह सामान्य से सात डिग्री अधिक था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन का असर अब अधिक स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में तापमान की यह असामान्य बढ़ोतरी वैश्विक जलवायु परिवर्तन और बदलते मौसमी पैटर्न का संकेत है, जिससे आने वाले वर्षों में गर्मी और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है।